केके मिश्रा/भोपाल। किसानों को लेकर कथित तौर पर संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह है कि ऐसा प्रचारित किया जाता है जब-जब किसानों पर आपदा आई है, तब-तब आप उनके साथ खड़े हुए। बतौर मुख्यमंत्री आपने स्वयं और आपकी समूची सरकार ने तत्कालीन यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहनसिंह के खिलाफ आंदोलन, धरना-प्रदर्शन और सविनय उपवास जैसे विरोध प्रदर्शन अप्रेल-2008, फरवरी-2010, जून-2012 और गत् संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान 6 मार्च-2014 को किये थे, जबकि डाॅ. मनमोहनसिंह सरकार ने पूरे देश के किसानों के ऋण माफी हेतु 73 हजार करोड़ रूपये स्वीकृत कर न केवल देश की आजादी के बाद किसानों की सबसे बड़ी ऋण माफी की थी और मप्र के व्यथित किसानों को भी 525 करोड़ रूपये प्रधानमंत्री सहायता कोष और विशेष पैकेज के रूप में प्रदान किये थे। यही नहीं 125 करोड़ रूपये तो राज्य सरकार द्वारा केंद्र को उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किये बगैर ही जारी कर दिये गये थे।
आज प्रदेश में स्पष्ट बहुमत वाली भाजपा और केंद्र में भाजपानीत गठबंधन की नरेन्द्र मोदी की सरकार काबिज है, इस दौरान प्रदेश में हजारों किसानों ने अपनी बर्बादी को लेकर आत्महत्या कर ली हैं। मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री ने मृतक किसानों को लेकर जहां संवेदना के एक शब्द भी नहीं कहे हैं, वहीं 19 माह बीत जाने के बाद भी मप्र के किसानों के हित में केंद्र ने एक रूपया भी आज तक राज्य सरकार को आवंटित नहीं किया है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री, नरेन्द्र मोदी सरकार के विरूद्ध खामोश क्यों हैं?
किसानों के हित और केंद्र के विरूद्ध मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमण्डल द्वारा किये जाने वाले आंदोलन, धरना-प्रदर्शन और सविनय उपवास जैसे विरोध प्रदर्शन किस हवा में उड़ गये हैं?
- लेखक मप्र कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता हैं।