इंदौर। पेटलावद ब्लास्ट की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने दावा किया है कि हादसे का मुख्य आरोपी राजेंद्र कांसवा अभी जिंदा है। इससे पहले एक पोटली में बंद अज्ञात व्यक्ति की लाश को कांसवा की लाश माना जा रहा था। कांसवा को लेकर चर्चाओं और राजनीति का दौर भी जारी है। कांग्रेस ने उसे आरएसएस का स्वयंसेवक बताया है जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कांग्रेसी दिग्गज कांतिलाल भूरिया के बेटे का दोस्त।
एसआईटी ने दावा किया है कि चश्मदीदों के बयान के आधार पर कांसवा के जिंदा होने के अहम सुराग हाथ लगे हैं, जबकि उसकी मौत की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं मिले। एसआईटी प्रमुख सीमा अलावा ने बताया कि जिन तीन शवों में एक शव राजेंद्र कांसवा का होने की अफवाह उड़ाई जा रही है। उसके डीएनए सैंपल सुरक्षित लैब में रख लिए गए हैं। अगर कांसवा ज्यादा दिनों तक नहीं मिलता है तो उसके परिवार के सदस्यों का डीएनए करवाकर तीनों शवों के डीएनए से मिलान करवाया जाएगा।
कांसवा को जिंदा मानने के आधार
विस्फोट के आरोपी राजेंद्र कांसवा को जिंदा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि घटना स्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे गली में भागते हुए देखा था। चश्मदीदों का कहना है कि सुबह गोदाम में जब पहला विस्फोट हुआ तो कांसवा वहां आया था, लेकिन कुछ ही पलों में कांसवा वहां से भाग गया।
इसके अलावा पुलिस पूछताछ में कांसवा की पत्नी और बेटी ने बताया कि उस दिन मोबाइल छोड़कर घर से निकले थे, लेकिन वापस नहीं आए। पुलिस से पूछताछ में पत्नी और बेटी सहज ढंग से बात कर रहीं थीं। अगर उसके मरने की खबर उनको होती, तो शायद दोंनों दुखी मन से अपनी बात रखतीं। यही नहीं, अब तक कोई ऐसा सुराग नहीं मिला जिससे राजेंद्र कांसवा के मरने की पुष्टि हो सके।