कांग्रेस में अरुण यादव के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की शुरूआत

Bhopal Samachar
भोपाल। मप्र कांग्रेस कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का विरोध अब निर्णायक मोड़ पर आता दिखाई दे रहा है। सुलह की लगभग सारी कोशिशें नाकाम हो गई हैं एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एकजुट होकर अरुण यादव के खिलाफ खड़े होने का मन बना चुके हैं।

शुक्रवार को पहली बार अरुण यादव के विरोध में पत्रकारवार्ता होने जा रही है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के समर्थक राममूर्ति मिश्रा सहित अन्य नेता इसके लिए गुरुवार को भोपाल पहुंच गए।

सूत्रों का कहना है कि नेताओं के निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से ज्यादा प्रभारी महासचिव मोहनप्रकाश हैं। दरअसल, केन्द्रीय नेतृत्व के आंख व कान प्रभारी महासचिव ही होते हैं। नेताओं का आरोप है कि केन्द्रीय नेतृत्व के सामने प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति की सही तस्वीर पेश ही नहीं की जा रही है। यही वजह है कि विधानसभा, लोकसभा के बाद नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है।

क्या कहते हैं असंतुष्ट नेता
मानक अग्रवाल (पूर्व उपाध्यक्ष): मुझे लगता है कि अध्यक्ष का मेरे ऊपर कभी विश्वास ही नहीं रहा। जबकि, उन्होंने जब भी जहां भी जाने के निर्देश दिए, वहां गया। पार्टी हित के खिलाफ कभी भी नहीं गया। शायद नारजगी की एक वजह यह भी हो सकती है कि मेरे पास प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में काफी लोग आते थे।

आरिफ अकील (पूर्व उपाध्यक्ष)
व्यंग्य करते हुए कहा मजबूत कार्यकारिणी बनाई है। मजबूत, इसलिए क्योंकि इसमें रिकार्ड मतों से हारने वालों को शामिल किया और लगातार जीतने वालों को पूछा तक नहीं।

असलम शेर खान (पूर्व समन्वय समिति सदस्य):
हमें दिक्कत माना जा रहा था, इसलिए वीआरएस दे दिया गया है। ऐसा लगता है कि पुराना चेहरे नई कार्यकारिणी में देखना ही नहीं चाह रहे थे। खास तौर पर वे जो कांग्रेस की बात करते थे किसी गुट या वर्ग विशेष की नहीं। जबकि, राजनीति की कोई उम्र नहीं होती है। समानांतर कांग्रेस इसकी ही देन है। केन्द्रीय संगठन में वरिष्ठ नेताओं के साथ कैसा बर्ताव होता है, उस पर आगामी रणनीति तय होगी।

राममूर्ति मिश्रा (पूर्व महामंत्री):
नई कार्यकारिणी से कोई खुश नहीं है। जो भी प्रभारी महासचिव आते हैं उनका मध्यप्रदेश को लेकर कोई विजन नहीं है। यहां की संस्कृति को नहीं समझते हैं। अपने लोगों को स्थापित करना चाहते हैं। यदि किसी की कार्य पद्धति पसंद नहीं आ रही है तो उससे पहले बात तो होनी चाहिए।

मोहम्मद सलीम (अल्पसंख्यक विभाग के पूर्व अध्यक्ष)
अल्पसंख्यकों को स्थान नहीं दिया। लगातार चुनाव जीतने वाले और विधायक दल में एकमात्र मुस्लिम विधायक आरिफ अकील को कार्यकारिणी में नहीं रखा।

अकबर बेग (पूर्व सचिव):
किसी भी मुस्लिम महिला को टीम में नहीं लिया। वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं की अनदेखी की। 40-40 साल से कांग्रेस में काम करने वालों को स्थान नहीं दिया।

असमत सिद्दीकी (पूर्व जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष):
अल्पसंख्यक और वरिष्ठ नेताओं की कार्यकारिणी में उपेक्षा की गई है। ऐसे लोगों को छोड़ दिया गया जो लगातार चुनावों में कांग्रेस का परचम लहरा रहे हैं।

किसी सवाल का जबाव नहीं देना चाहते यादव
प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर हो रहे विरोध पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि सभी वर्गों और युवाओं को प्रतिनिधित्‍व दिया गया है। जो लोग छूट गए हैं उन्हें उचित स्थान दिया जाएगा पर नवदुनिया ने दोबारा कुछ सवाल किए तो उन्होंने कहा कि इस बारे में हमें कुछ भी नहीं कहना है।

ये थे सवाल
असंतुष्ट कांग्रेसी आरोप लगाया रहे हैं कि प्रदेश के प्रभारी महासचिव के पास मध्यप्रदेश कांग्रेस को लेकर कोई विजन नहीं है?
आपको असली कांग्रेसियों की परख नहीं है?
हाईकमान के सामने प्रदेश कांग्रेस की असली तस्वीर नहीं रखी जा रही है?
जिन लोगों को संगठन में एडजेस्ट करने की बात हो रही है, उन्हें कब तक सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा?
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