सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। रिकार्ड उठाकर देखें तो जंगलों में पुलिस की सर्चिंग लगातार जारी है लेकिन सूत्रों पर भरोसा करें तो नक्सलियों की गतिविधियां बेखौफ चल रहीं हैं। हाल ही में नक्सलियों के 3 दिनी महत्वपूर्ण केंप का आयोजन हुआ। 3 राज्यों और कई इलाकों के बड़े नक्सली नेता इसमें शामिल हुए। पुलिस को इस केंप की भनक तक नहीं लगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माओवादी नक्सलियों के द्वारा अभी हाल ही में छत्तीसगढ सीमा से लगे बालाघाट जिले के एक गांव में कैंप भी संचालित हुआ था जहां करीब 150 माओवादी नक्सलियों की उपस्थिति रही। घनघोर जंगलों और चारों तरफ पहाडियों से घिरे सुलसुली पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले माताघाट, आराघाट एवं धीरीमुरूम के जंगलों में हुई करीब तीन दिनों की बैठक में महाराष्ट्र के गढचिरोली और छत्तीसगढ के राजनांदगांव जिले में सक्रिय विभिन्न नक्सली संगठनों के पदाधिकारियों और सदस्यों की उपस्थिति रही। जिसमें सीमावर्ती राजनांदगांव और बालाघाट जिले के ग्रामीणों की भी उपस्थिति रही।
हांलांकि पुलिस अधीक्षक नक्सलियों के द्वारा आयोजित की गई एैसे कैम्प से इंकार किया है। उस क्षेत्र से जुडे ग्रामीणों के अनुसार उस क्षेत्र में पुलिस की सर्चिंग कभी कभार होती रहती है। घनघोर जंगलों नदी नालों और पहाडियों की वजह से उन स्थानों पर पहुंच नही पाती है।
इसी तरह की एक जानकारी पितकोना चौकी के अंतर्गत आने वाले ग्राम केरेझरी की प्राप्त हुई है जहां माओवादी नक्सलियों ने ग्रामीणों के साथ बैठकें ली जिनमें इस क्षेत्र के काफी ग्रामीण उपस्थित थे जबकि केरेझरी गांव पितकोना पुलिस चौकी से कुछ फासले पर ही है और पितकोना चौकी में बीएसएनएल की मोबाईल सेवा का टावर भी संचालित हो चुका है और बातचीत भी हो रही है। बावजूद इसके इस गांव में हुई नक्सलियों के बैठक की सूचना पुलिस को ना मिलना उनकी सूचना तंत्र पर सवालिया निशान खडा करता है। जबकि सूचनातंत्र के नाम भारी भरकम राशि आ रही है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि उक्त राशि का सदुपयोग नही हो रहा है।
इनका कहना
नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी मिलने पर पुलिस बल पहुंच जाता है वर्तमान में उनकी गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती है आपके द्वारा जो बताया जा रहा है वह मेरे संझान में नही है।
गौरव तिवारी
पुलिस अधीक्षक
बालाघाट