RGPV से एफिलेटेड 20 कॉलेजों को हाईकोर्ट से राहत

भोपाल। हाईकोर्ट जबलपुर ने राजधानी सहित प्रदेश के करीब बीस कॉलेजों को राहत दी है। सोमवार को जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस एसके गुप्ता की युगलपीठ ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा असंबद्ध किए जा चुके 20 कॉलेजों की 1800 एमटेक सीटों को काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए हैं। आरजीपीवी ने प्रदेश के करीब 20 कॉलेजों को असंबद्ध कर काउंसलिंग प्रक्रिया से उनके नाम हटाने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को लिख दिया था। इसके खिलाफ कॉलेज संचालक हाईकोर्ट चले गए थे।

याचिकाकर्ता की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने बताया कि कॉलेजों को जब एआईसीटीई द्वारा संबद्धता प्रदान कर दी गई है तो ऐसी परिस्थितियों में विश्वविद्यालय अनाधिकृत रूप से बिना सुनवाई का अवसर दिये उन्हें असंबद्ध नहीं कर सकता। कॉलेजों को कारण बताना विश्वविद्यालय के लिये अनिवार्य है। अगर विश्वविद्यालय द्वारा संस्थान में कोई भी कमी पाई गई, तो उसे अवगत कराते हुए उसे सुधार करने का मौका देना चाहिए न कि एकपक्षीय तौर पर असंबद्ध करते हुए काउंसिलिंग से नाम हटाने हेतु अनुशंसा करना चाहिए।

इन तर्कों पर हाईकोर्ट की युगलपीठ ने कहा कि यूनिवर्सिटी द्वारा लिया गया निर्णय अनुचित है और इस प्रकार से किसी संस्थान को काउंसिलिंग प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित नहीं किया जा सकता, वो भी तब जब उसके पास एआईसीटीई की अनुमति एवं मान्यता प्राप्त है। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को तीन तीन सप्ताह में जवाब तलब कर संस्थाओं को अंतरिम राहत प्रदान की।

यह था मामला
उल्लेखनीय है कि तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग आयोजित की जा रही है। इस काउंसलिंग में भाग लेने के लिए कॉलेजों को एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त करने के बाद आरजीपीवी से संबंद्घता प्राप्त करनी होती है। इसके बाद ही उनका नाम काउंसिलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। इसी तारतम्य में प्रदेश भर के सभी एमटेक कोर्स संचालित करने वाली संस्थाओं द्वारा एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त कर विश्वविद्यालय को संबद्धता के लिए आवेदन दिए गए थे जिसके बाद उनके नाम 20 जून को काउंसिलिंग में शामिल कर लिया गया था। लेकिन आरजीपीवी ने 20 जुलाई को अपनी वेबसाइट पर एक सूची जारी की गई जिसमें एमटेक संचालित लगभग 20 से 22 संस्थाओं का जिक्र करते हुए उनकी संबंद्घता वापिस ले ली गई और उनका नाम काउंसिलिंग से हटाने हेतु अनुशंसा कर दी गई। संस्थाओं द्वारा इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी मामले की सुनवाई सोमवार को हुई जिसमें कॉलेजों को राहत प्रदान की गई।

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