motivational story in Hindi - भगवान श्री हरि विष्णु ने क्या छुपाया

Bhopal Samachar
एक समय कि बात है भगवान विष्णु सभी जीवों को कुछ न कुछ चीजें भेंट दे रहे थे,
सभी जीव भेंट स्वीकार करते और खुश हो अपने निवास स्थान के लिए प्रस्थान करते।
जब सब चले गए तो श्री लक्ष्मी जी ने भगवान से कहा,"हे नाथ मैंने देखा कि आपने सभी को कुछ न कुछ दिया,अपने पास कुछ नहीं रखा लेकिन एक चीज़ आपने अपने पैरों के नीचे छिपा लिया है वो क्या है ?"
श्री हरि मंद मंद मुस्कुराते रहे,उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

लक्ष्मी जी ने फिर कहा, "प्रभु आपने क्या छुपाया है,कृपया इस रहस्य से पर्दा उठाइये।"
श्री हरि बोले,"देवी मेरे पैरों के नीचे शांति है जिसे मैंने किसी को नहीं दिया, सुख सुविधा तो सभी के पास हो सकती हैं किंतु शांति तो किसी दुर्लभ मनुष्य के पास ही होगी ये मैं सब को नहीं दे सकता।जो मेरी प्राप्ति के लिए तत्पर होगा,जिसकी सारी चेष्टाएं मुझ तक पहुंचने कि होंगी, उसी को ये मिलेगी।"

श्री हरि से आज्ञा लेकर शांति कहने लगी, "हे जगत्माता! श्री हरि ने मुझे अपने पैरों के नीचे नहीं छिपाया बल्कि मैं स्वयं उनके पैरों के नीचे छिप गई क्योंकि मैं (शांति) तो केवल हरि चरणों के नीचे ही जीव को मिल सकती हूँ,अन्यथा कहीं नहीं।"

कहते हैं कि उसी दिन से श्री लक्ष्मी जी ने श्री हर के चरणों कि सेवा शुरू कर दी क्योंकि व्यक्ति सारी सुख संपत्ति से सुसज्जित हो किंतु शांति ही न हो तो उसकी सारी सुख संपत्ति व्यर्थ हो जाती है।
*अतः स्वयं सुख-समृद्धि की जननी माता लक्ष्मी भी शांति प्राप्ति हेतु श्री हरि के चरणों कि सेवा नित्य करती है
एक हम लोग हैं जो सुख संपत्ति एवं धन को ही लक्ष्मी जी की कृपा समझते हैं परंतु वास्तविकता यह है कि लक्ष्मी जी की कृपा उसी पर है जो अपने धन,संपत्ति,वैभव को श्री हरि चरणों कि सेवा में लगाये अथवा उसके पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों की वजह से जो कुछ मिला है वह पुण्य क्षीण होते ही संपत्ति का अभाव हो जायेगा।

जीवन में परम् आवश्यक है मन कि शांति,अतः भगवान के चरणों में ध्यान लगायें और अपनी संपत्ति का सदुपयोग करें तथा परमपिता परमेश्वर के अलावा किसी से कोई आशा ना रखें..!!
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