धार। नगर पंचायत में एक महिला पार्षद ऐसी भी हैं जो अपने घर का खर्चा चलाने के लिए हॉस्टल में खाना बनाती हैं। नौकरी से समय निकालकर वार्ड की समस्याओं को देखतीं हैं और लगभग हर रोज नगरपालिका आफिस भी जातीं हैं। वार्डक्रमांक 30 से निर्वाचित इस महिला पार्षद का नाम है भूरीबाई, जो भाजपा से टिकिट पर निर्वाचित हुईं।
दरसअल, धार नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 30 से पार्षद भूरीबाई अपने वार्ड वासियों की समस्याओं को हमेशा नेताओं के सामने उठाती थीं। उनकी इस खूबी से प्रभावित भाजपा ने उन्हें पार्षद का टिकिट दे दिया और वे बड़ी आसानी से जीत भी गईं।
पार्षद भूरी बाई ने बताया कि, वह पार्षद बनने के पहले से ही हॉस्टल में खाना बनाने का काम करती हैं, तो पार्षद बनने के बाद काम करने में हर्ज किस बात का। उन्होंने बताया कि, वार्ड में उनके पार्षद बनने के बाद से कई निर्माण कार्य हुए हैं, लेकिन उन्होंने किसी भी विकास कार्य के लिए कमीशन नहीं लिया। भूरीबाई कहतीं हैं कि वे नगर पंचायत से वेतन के रूप में प्रतिमाह मिलने वाले 1800 रुपए से ही खुश हैं।
यहां बता दें कि मप्र की नगरपालिकाओं में जिस भी पार्षद के वार्ड में विकास के नाम पर कोई निर्माण कार्य होता है। ठेकेदार कम से कम 5 प्रतिशत कमीशन पार्षद को देता है। करीब 18 साल पहले मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में इस परंपरा की शुरूआत हुई थी। इस रिश्वत को पार्षदगण अपना अधिकार मानते हैं।
घर में शौचालय नहीं
ख़ास बात यह है कि मध्यप्रदेश के इतने बड़े धार जिले की नगर पालिका में पार्षद बनकर भी भूरीबाई ग़रीबी से जूझ रहीं हैं। वार्ड में 10 नई सड़कों से लेकर कई शौचलय बनाए जा चुके हैं, लेकिन उनके घर में ग़रीबी के चलते शौचालय नहीं बन पाया है। अपनी ईमानदारी और स्वाभिमान पर अडिग भूरीभाई का कहना है कि वह दूसरे नेताओं की तरह नहीं बनना चाहतीं, जो पांच मिनिट जनता के पैर छूते हैं और जनता काम करवाने पांच साल उनके पैर छूती है।