आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिन बैगा आदिवासियों की जनसंख्या बढ़ाने के लिए सरकार योजनाएं चला रही है। कमीशन के लालच में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उनकी ही नसबंदी कर डाली। अब कमिश्नर आदिवासी विकास ने इस मामले की डीटेल्ड रिपोर्ट मांगी है।
यह उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले के स्वास्थ्य विभाग ने राष्टीय स्तर पर पुरस्कार हासिल करने एवं लक्ष्य पूर्ति के उद्देश्य से बैगाओं की नसबंदी कर दी जबकि बैगाओं को राष्टीय मानव का दर्ज प्रदान करते हुये उन्हंे अति संरक्षित जाति के रूप में अधिसूचित किया है तथा बैगा जनजाति की संख्या बढाने और उनका जीवन बचाते हुये उनके उन्नयन के लिये अनेक योजनायें केन्द्र सरकार के माध्यम से चलाई जा रही है।
जिन पर प्रतिवर्ष करोडों रूपये व्यय किये जा रहे है लेकिन बैगा प्रजाति के लोगों आज भी जहां के तहां है तथा बुनयादी सुविधाओं से भी वाछित कर दिये गये है।
उधर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते बैगाओं की जनवृद्धि पर रोक लगाने के लिये लालच देकर उनकी नसंबदी करा दी। स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन के द्वारा नसबंदी के लक्ष्यपूर्ति के लिये प्रोत्साहन के लिये 12 नसबदंी केस लाने वाले को एक सोने का सिक्का देने की स्कीम भी चलाई थी।
बैहर तहसील में दक्षिण बैहर की 4 ग्राम पंचायत क्षेत्र के लगभग 140 बैगाओं की नसंबदी की गई है। जो सोनगुड्डा, दुल्हापूर, आडोरी, घुम्मुर पंचायत क्षेत्र में निवास कर रहे है।
इस संबंध में सोनगुड्डा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच तातूसिंह धुर्वे ने जिला प्रशासन को एक लिखित शिकायत की थी जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई।
तातूसिंह धुर्वे ने अपने बयान में अवगत कराया की जिन बैगाओं की नसंबदी कराई गई है उनमंे से अधिकांश महिलाओं एवं पूरूष की आयु 22 से 30 वर्ष के बीच है और उनकी मात्र 1 या 2 संतान है।
यह भी उल्लेखनीय है कि बैगाओं के विषय में दिये गये आकडों के अनुसार बैगा बाहुल्य क्षेत्र में शिशु मृत्युदर भी बहुत अधिक है। इस विसंगतियों के चलते बैगाओं की वंशवृद्धि के मुद्दे पर प्रश्नचिन्ह खडा हो गया है।
सहायक आयुक्त एस एस मरकाम ने अवगत कराया की आयुक्त आदिवासी विकास मध्यप्रदेश की ओर से पत्र मिला है जिसमें बैगाओं की नसंबदी कराये जाने के विषय में विस्तृत जानकारी मांगी गई है शीध्र ही जांच करवाकर रिपोर्ट प्रेषित की जायेगी।