भोपाल। पंचायती राज व्यवस्था में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 5 साल से बढ़ाकर 10 साल किए जाने की तैयारी चल रही है। मोदी सरकार के अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं परंतु उनका मानना है कि 10 साल का कार्यकाल आरक्षित वर्ग एवं महिलाओं के लिए ही होना चाहिए। सामान्य वर्ग के लिए नहीं।
संविधान में दी गई व्यवस्था के तहत मध्यप्रदेश में पंचायती राज अंतर्गत महिलाओं को 50 प्रतिशत, आदिवासी वर्ग को 20 प्रतिशत, अनुसूसचित जाति के लिए 14 प्रतिशत तथा ओबीसी को जनसंख्या के हिसाब से 25 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ चुनाव में दिए जाने का प्रावधान है। वर्तमान में प्रदेश में 23 हजार ग्राम पंचायत, 313 जनपद पंचायत तथा 51 जिला पंचायत हैं।
भारत सरकार का तर्क
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जो तर्क दिए है, उसमें कहा गया है कि पंचायतों में पांच साल का कार्यकाल होने की वजह से महिलाओं, एससी, एसटी तथा ओबीसी वर्ग के लोग नेतृत्व के प्रति प्रेरित होते हैं। यदि इन्हें दस साल तक काम करने का मौका मिलेगा, तो इनमें नेतृत्व करने की क्षमता जाग्रित होगी। खासकर महिलाओं में नेतृत्व करने की क्षमता तेजी से विकसित हो रही है।