ग्वालियर। नेत्रदान महादान माना जाता है दृष्टिहीनों में दुनिया में हर तीसरा भारतीय नेत्रहीन है। सरकार करोड़ों रूपये नेत्रदान के लिये फूंकती है, परंतु जयारोग्य अस्पताल में स्वर्गीय अमृत गंभीर के नेत्रदान के बाद किशन गंभीर की मां ने भी नेत्रदान किया था लेकिन डाॅक्टरों ने बजाय किसी मरीज को लगाने को आंखें कचरे में फैंक दीं।
किसी तरह परिजनों को मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने पर उन्होंने अस्पताल में हंगामा कर दिया और नेत्र विभाग से डाॅक्टर भाग निकले। किशन गंभीर का कहना हैं कि ऐसा तो जानवर ही कर सकता है कि दूसरों के लिये दान में दी गई आंखें कचरे में फैंक दी जायें, इस बारे में कमिश्नर केके खरे ने जांच शुरू कर दी है।