सीहोर। यहां सहकारी बैंक मेहतवाड़ा शाखा से एक नीलामी के दौरान 1147 ग्राम सोने और 600 ग्राम चांदी के नकली आभूषण पकड़े गए। बैंक नकली गोल्ड से बने इन जेवरात को नीलाम करना चाहता था परंतु मूल्यांकनकर्ता ने जब इसकी जांच की तो राज खुला कि गोल्ड तो नकली है। बैंक का कहना है कि इन जेवरों के बदले लोगों ने लोन लिया था, लेकिन बैंक प्रबंधन जांच की जद में है, क्योंकि गिरवी रखने से पहले बैंक अपने स्तर पर गोल्ड की जांच कराता है।
यह हुआ घटनाक्रम
जिला सहकारी बैंक की मेहतवाड़ा शाखा ने सरकार की आभूषण तारण योजना के तहत 2006-07 में बीलपान और आष्टा के 23 लोगों को 1147 ग्राम सोने और 600 ग्राम चांदी के आभूषण गिरवी रखकर लोन दिया था। लोन की राशि जमा नहीं करने पर बैंक ने इन गहनों को नीलाम करने का फैसला किया।
बुधवार को बैंक परिसर में नीलामी शुरू हुई। इस दौरान एक व्यक्ति ने कर्ज की रकम अदा कर अपने आभूषण छुड़ा लिए। बाकी सभी 22 कर्जदारों के गहने नीलामी समिति के सामने निकाले गए। मूल्यांकनकर्ता किरण सोनी ने जब इनकी जांच की तो पता चला सभी आभूषण नकली हैं। अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि लोन लेने वालों ने नकली जेवर जमा किए थे या बैंक में यह सोना बदल गया?
लोन लेने वालों के खिलाफ पंचनामा
बैंक मैनेजर करण सिंह के मुताबिक गहनों का मूल्यांकन तत्कालीन प्रबंधन ने आष्टा के ज्वैलर से कराया था। नीलामी के दौरान सभी आभूषण नकली पाए गए हैं। जिन लोगों ने गहने रखकर लोन लिया था, उनके खिलाफ समिति ने पंचनामा बनाया है।
जांच की जद में बैंक प्रबंधन
हालांकि बैंक लोन लेने वाले डिफाल्टर्स को दोषी बता रहा है, लेकिन बैंक प्रबंधन इस मामले में जांच की जद में है। कोई भी बैंक या फिर मणपुरम और मुत्थुट जैसी गोल्ड लोन कंपनियां वायदा बाजार में सोने के 30 दिन के औसत भाव के आधार पर लोन टू वैल्यू एलटीवी तय करते हैं। वे सोने के कुल मूल्य का 75 फीसदी तक लोन में देते हैं। सोना शुद्ध है या नहीं। इसकी जांच के लिए हर बैंक के पास ज्वैलर्स की पैनल है। पैनल में शामिल ज्वैलर्स बैंक और ग्राहक दोनों के सामने ज्वैलरी की शुद्धता का आकलन करते हैं। बैंक ज्वैलर्स को हर जांच के लिए फीस देते हैं। जो 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि जब गिरवी रखने से पहले जांच करा ली गई थी तो फिर बैंक से बाहर निकला सोना नकली कैसे हो गया।