इंदौर। एक साल पहले तक बीएड कॉलेजों में स्टूडेंट्स की लाइन लगी रहती थी। कॉलेज संचालक मनमानी फीस वसूल रहे थे, लेकिन इस बार सीटें खाली पड़ीं हैं, कोई एडमिशन लेने ही नहीं आ रहा।
कॉलेज संचालकों का मानना है कि प्रवेश नहीं होने के पीछे बड़ी वजह है कि इस साल से उच्च शिक्षा विभाग ने बीएड दो साल का कर दिया है जबकि दूसरी हकीकत यह है कि मप्र में संविदा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अटकने के कारण अब बेरोजगारों की रुचि बीएड में नहीं रही।
पहली काउंसलिंग के बाद व्यापमं ने 1 जून को प्रदेशभर के बीएड कॉलेजों के अलॉटमेंट की सूची जारी की, जिसमें 65 फीसदी कॉलेज छात्रों को अलॉट कर दिए थे। शहर के 31 कॉलेजों की 3200 सीटें हैं। छात्रों को दस दिन के भीतर कॉलेज में दस्तावेज जमा करने थे, लेकिन अब तक सिर्फ 22 फीसदी सीटें भर पाई हैं। इनमें सिर्फ 651 छात्रों ने एडमिशन करवाए हैं। इसके चलते शहर के ज्यादातर कॉलेजों की हालत भी खराब है। अलॉटमेंट के बावजूद छात्र दस्तावेज जमा करने नहीं आ रहे हैं। बताया जाता है कि कॉलेज प्रबंधन फोन कर बुला रहे हैं। कॉलेज संचालक अवधेश दवे ने बताया कि कॉलेज में एडमिशन चल रहे हैं। अभी सप्ताहभर का समय रखा है।