राकेश दुबे@प्रतिदिन। तमिलनाडू के चुनाव में 2016 में होने हैं| जयललिता ने बिसात बिछाना शुरू कर दिया है| भाजपा को राज्यसभा में अपने अल्पमत को समर्थन में बदलना है तो उसे जयललिता की शर्तें मानना होगा और यह शर्त विधानसभा के चुनाव जल्द करने की होगी| जयललिता ने एक बार फिर साबित किया है कि वह खाक में मिलकर फिर खड़ी हो सकती है। ऐसा वह कई बार कर चुकी है। उनके राजनैतिक कैरियर में लगातार उत्थान और पतन हो रहा है। 1970 के दशक में उनकी स्थिति खराब थी और उन्होंने फिल्मी दुनिया छोड़कर हैदराबाद में निवास करना शुरू कर दिया था।
1982 में एमजी राजचन्द्रन ने उन्हें राजनीति में आमंत्रित किया और वहा फिल्मी दुनिया को छोड़कर राजनीति में आ गई। उन्हें एमजी आर ने अपना प्रचार सचिव बना लिया। उनके सितारे बुलंद होने लगे, लेकिन 1983 में एमजीआर ने उनसे वह पद छीन लिया और वे एक बार फिर अप्रासंगिक होती दिखाई देने लगी। उसके बाद एमजीआर की मौत हो गई। उनकी विरासत के लिए उनकी एमजीआर की पत्नी जानकी रामचन्द्रन से ठन गई। अंत में जीत उन्हीं की हुई और पार्टी पर जयललिता का ही कब्जा हुआ। 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री लेकिन 1996 में उनकी किस्मत ने फिर पलटी खाई और वह गिरफ्तार कर ली गई। वह बहुत दिनों तक जेल में भी रहीं और उन पर अनेक मुकदमे चले, जो भ्रष्टाचार और आय से ज्यादा संपत्ति से संबंधित थे।
2001 में जयललिता के अच्छे दिन एक बार फिर आए। चुनाव में उनकी पार्टी की जीत हुई और वे एक बार फिर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं। पूरे 5 साल तक उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में वहां काम किया। 2005 में उनकी फिर हार हुई। लेकिन 5 साल के बाद वह भारी बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में आई। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तमिलनाडु की 39 में से 37 सीटों पर जीत हासिल हुई। तमिलनाडु में किसी क्षेत्रीय पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव में अबतक की दर्ज की हुई सबसे बड़ी जीत है।
हाल ही में जयललिता हाईकोर्ट से दोषमुक्त करार दी गई है और एक बार फिर शपथ ग्रहण करने का उनका रास्ता साफ हो गया है| राज्यसभा में भाजपा अल्पमत में है, इसलिए उन्हें जयललिता का समर्थन लेने के लिए उनकी बातें माननी होंगी। बदली परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए जयललिता समय से पहले भी चुनाव करा सकती हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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