गडकरी कांड से शुरू हुआ मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के श्रीगणेश

नई दिल्ली। शायद कल की ही बात है, भाजपा के नेतागण टीवी पर चीख रहे थे कि मोदी सरकार में पिछले एक साल में एक भी भ्रष्टाचार का आरोप तक सामने नहीं आया कि शुक्रवार को कैग रिपोर्ट आ गई। गड़करी को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है। राज्यसभा में कांग्रेस ने गडकरी से इस्तीफे की मांग की, पूरे दिन हंगामा चलता रहा।

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने एक केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में भारी शोरगुल और हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही छह बार स्थगित होने के बाद अंतत: दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई और कोई कामकाज नहीं हो सका।

सदस्यों ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद से ही मंत्री के पारिवारिक कंपनी को ऋण देने में कथित अनियमितता बरते जाने संबधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को लेकर हंगामा शुरू कर दिया, जो लगभग साढ़े तीन बजे तक जारी रहा।

साढ़े तीन बजे जब सदन की बैठक शुरू हुई तो छह मिनट के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इस दौरान सदस्यों ने 'गडकरी इस्तीफा दो' के नारे भी लगाए।

कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि वह संसदीय लोकतंत्र का आदर करते है लेकिन सरकार संसदीय लोकतंत्र का आदर नहीं करती है। उन्होंने कहा कि 2012 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट को लेकर उस समय के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने 23 दिनों तक संसद की बैठक नहीं चलने दी थी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते है कि उन्हें भ्रष्टाचार स्वीकार नहीं है तो अब वह उनसे मंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य सदन के प्रति उत्तरदायी हैं।

ससंदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कैग की रिपोर्ट हमारे पास है, उसमें भ्रष्टाचार की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष भाग रहा है।

उन्होंने कहा कि चर्चा होने पर वह भ्रष्टाचार का इतिहास भूगोल बताएंगे। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि यह समय निजी विधेयकों पर चर्चा का है और सदस्य इस कार्यवाही को चलने दें। इसके बाद कांग्रेस के सदस्य सदन के बीच में आ गए और 'गडकरी इस्तीफा दो' का नारा लगाने लगे।

इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य एक साथ खड़े होकर जवाबी नारेबाजी करने लगे। हंगामे के दौरान ही विशेष उल्लेख की कार्यवाही पूरी की गई।

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