अनूपपुर। आज शनिवार को जिला सत्र न्यायधीश ने एक अहम फैसला सुनाया जिसमें अभियुक्त लल्लू उर्फ सुरेश केवट उम्र 35 वर्ष ने 3 जुलाई 2012 की शाम 7 बजे ग्राम चोलना(झिरिया टोला) थाना जैतहरी ने अपने पिता लमारू केवट की हत्या कर दी। इसके पीछे घरेलू और जमीनी विवाद था।
मृतक लमारू केवट का अपने पुत्र सुरेश केवट से काफी दिनों से विवाद चल रहा था, जिसके चलते अभियुक्त अपनी पत्नी के साथ अलग रहने लगा था और मृतक अकेले गांव के बाहर अपने खेत में एक टपरा बना कर रहने लगा। इस बीच दोनों में किसी प्रकार का कोई बात-चीत न लेन-देन होता था। इसी बीच मृतक ने अपने पुत्र से जमीन की ऋण पु़स्तिका मांगा कि ऋण लेकर खेत में कुंआ खोदना चाहता है। परंतु अभियुक्त ने ऋण पुस्तिका देने से इंकार करता रहा।
2 जुलाई 12 को अभियुक्त के पड़ोसी के यहां घरेलू कार्यक्रम था, जिसमें अभियुक्त की पत्नी से मृतक ने पुन: ऋण पुस्तिका की मांग की जिसे लेकर अभियुक्त की पत्नी चमेलिया बाई से काफी विवाद हुआ। उस वक्त अभियुक्त घर पर नहीं था। घर आने पर अभियुक्त की पत्नी ने अभियुक्त से इस पूरे विवाद की जानकारी दी। इससे सुनने के बाद दूसरे दिन अभियुक्त 3 जुलाई 12 को घर से एक डंडा लेकर निकला और उसके बाद मृतक लमारू की लाश औंधे मुंह घर के खुले आंगन में रखी चारपाई पर मिली थी। घटना की जानकारी थानू केवट ने जैतहरी थाने को दी थी, जिस पर अभियुक्त को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था।
अभियुक्त से पूछताछ के दौरान अभियुक्त के पास से बांस की कम्टी, बांस का डण्डा, लोहे का एक राड जब्त किया गया था। डॉ खन्ना ने मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह कहा कि सभी चोटें 24 घंटे के अंदर की है। जो मानववधात्मक प्रकृति की थी तथा सिर एवं छाती में आई चोटों की वजह से उत्पन्न शाक से मृत्यु हुई थी। अभियुक्त के विरूद्ध विवेचना उपरांत धारा 302 भदवि के तहत मामला जैतहरी थाने में पंजीबद्ध किया गया था और उक्त मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय अनूपपुर के मान्नीय न्यायधीश आनंद मोहन खरे की अदालत के सत्र प्रकरण क्रमांक 106/12 में गत शनिवार फांसी की सजा सुनाई गई। शासन की ओर से मामले की पैरवी लोक अभियोजक रामनरेश त्रिपाठी द्वारा की गई।