आनंद ताम्रकार/बालाघाट। आप इसे प्रशासनिक रिश्वतखोरी का क्रूरतम चेहरा कह सकते हैं। पटाखा फैक्ट्री संचालक को मात्र 5 किलो बारूद रखने का लाइसेंस दिया गया था जबकि मौके पर 3 क्विंटल बारूद था। प्रशासन जिम्मेदारी से बच नहीं सकता, क्योंकि हादसे के 1 दिन पहले ही प्रशासन ने जांच की थी।
किरनापुर में बुधवार को अवैध पटाखा फैक्टी में हुये विस्फोट के मामले में पुलिस ने अनेक घरों में तलाशी लेकर बारूद बरामद किया है। इस सिलसिले में फैक्टी मालिक अभिषेक सुनेरी सहित 4 लोगों को किरनापुर के वार्ड नं.2 निवासी मानू यादव, झडू यादव और विमला यादव के विरूद्ध धारा 4/5 विस्फोटक अधिनियम और 286 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस ने न्यायालय में पेश किया अदालत ने 3 को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिये वही फैक्टी का मालिक अभिषेक सुनेरी गंभीर हालत में नागपुर के अस्पताल में भर्ती है।
इस मामले की चल रही जांच में प्रशासन की गंभीर चूक उजागार हुई है धमाके के 2 दिन बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि अभिषेक सुनेरी के गोदाम में विस्फोटक पदार्थ रखने हेतु आवश्यक लाइसेंस की आवधि 31 मार्च 2015 को समाप्त हो चुकी थी तथा उसे मात्र 5 किलो विस्फोटक का सग्रह करने की अनुमति दी गई थी जबकि उसकी फैक्टी में 3 क्विंटल के लगभग बारूद पाया गया तथा उसके घर पर बिना अनुमति के पटाखा बनाने की फैक्टी चलाई जा रही थी।
11 मई को किरनापुर के राजस्व निरीक्षक युवराज थवरे ने फैक्टी का निरीक्षण किया था और उन्हें लगभग 3 हजार पटाखें सुखाते हुये दिखाई दिये थे लेकिन उसने इस बात की जानकारी प्रशासन को नही दी। इस धमाके में मारे गये दो लोगों की मौत एवं जमीन के भीतर और आसपास के घरों में बारूद की बरामदगी और पटाखा बनाने के लिये विस्फोटक पदार्थ देने के मामले की जांच बालाघाट एसडीएम डी एस परस्ते को सौपी गई है।
कलेक्टर व्ही किरण गोपाल ने इन मुद़दों पर एसडीएम को रिपोर्ट देने के निर्देश दिये है। कलेक्टर व्ही किरण गोपाल ने अवगत कराया की एसडीएम बालाघाट से इन घटनाक्रमों की रिपोर्ट मांगी गई है जिसमें यह स्पष्ट हो जायेगा की फैक्टी की अनुमति 31 मार्च 2015 को समाप्त हो चुकी थी तथा उसे मात्रा 5 किलो ही बारूद भण्डारन करने की अनुमति प्रदान की गई थी लेकिन उसने बहुत अधिक मात्रा में विस्फोटक भण्डारित कर रखा था।