इंदौर। पीएससी की गलतियों के मामलों में सबसे बड़ा केस 2013 की प्रारंभिक परीक्षा में 16 गलत प्रश्न पूछे जाने को लेकर सामने आया था। इसके 32 अंक थे। जहां एक-एक नंबर से मेरिट प्रभावित होती है, ऐसे में 16 गलत प्रश्न और लाख प्रयास के बाद स्वीकारी गई गलती के बाद मिले 32 अंकों के बोनस से पीएससी के आवेदक अब तक असंतुष्ट हैं। इसे लेकर इंदौर और ग्वालियर हाईकोर्ट में प्रकरण भी चल रहे हैं, जिसका मकसद परीक्षा को निरस्त कर दोबारा कराना है।
उक्त मामले से सबक लेते हुए विभाग ने अब अपने नियमों में संशोधन कर तय किया है कि आगे होने वाली किसी भी परीक्षा में यदि किसी भी कारण से कोई गलत प्रश्न निकलते हैं, तो उन प्रश्नों के अंकों का बोनस किसी भी परिस्थिति में छात्रों को नहीं मिलेगा।
कोर्ट नहीं जा सकेंगे छात्र
पीएससी द्वारा अपने नियमों में संशोधन होने के बाद सबसे ज्यादा असर यह होगा कि पीएससी में अब आगे से गलत प्रश्नों के मामले में छात्र कोर्ट नहीं जा पाएंगे, क्योंकि अब से पहले इस मामले में विभाग के पास कोई नियम नहीं थे और अचानक यह गलती सामने आई थी। ऐसे में इस पर क्या फैसला होना चाहिए, इस पर आवेदक और पीएससी अपने-अपने स्तर पर अड़े हुए हैं। चूंकि अब इस मामले में स्पष्ट नियम बना दिए गए हैं, इसलिए अब छात्र पीएससी के नियम ही मानने के लिए बाध्य रहेंगे।
अब नियम बना दिया
2013 की प्रारंभिक परीक्षा में गलती के बाद पीएससी के एक्सपर्ट पैनल ने निर्णय लिया था कि इन प्रश्नों के अंकों को कुल प्रश्नों के अंकों से कम कर मूल्यांकन किया जाएगा। जैसे 400 कुल अंक थे, जिसमें से 16 गलत प्रश्नों के 32 अंक कम कर 368 कुल अंकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया था, इसे उन्होंने अब नियम बना लिया। हालांकि इसके साथ उन्होंने छात्रों को बोनस अंक भी दिए थे।