जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के कार्यकाल में नियुक्ति घोटाले के एक आरोपी यज्ञ नारायण शर्मा की गिरफ्तारी पर सशर्त रोक लगा दी। इसके तहत आरोपी को पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच में पूरा सहयोग करने कहा गया है। वहीं राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
सोमवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस मूलचंद गर्ग की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता यज्ञ नारायण शर्मा की ओर से अधिवक्ता सिद्घार्थ राधेलाल गुप्ता ने पक्ष रखा।
जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी की रिपोर्ट पर सवाल
उन्होंने दलील दी कि जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी आयोग की जिस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी सहित 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई है, वह रिपोर्ट ही अवैध है। ऐसे में उसके आधार पर भला केस कैसे चलाया जा सकता है? इसके अलावा आपत्ति का बिन्दु यह भी है कि जांच रिपोर्ट 9 साल तक ठंडे बस्ते में पड़ी और अचानक बोतल में बंद जिन्न की तरह उसे बाहर निकालकर राजनीतिक द्वेषवश एफआईआर दर्ज करा दी गई।
1993 से 2003 के बीच का मामला
विधानसभा सचिवालय के उपसचिव एमएम मैथिल की शिकायत पर भोपाल स्थित जहांगीराबाद थाना पुलिस ने 27 फरवरी 2015 को याचिकाकर्ता सहित 18 को आरोपी बना लिया। उन पर 1993 से 2003 के बीच अवैधानिक नियुक्तियों का दोषारोपण किया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक यह केस जिस सेवानिवृत्त जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी की 2006 में प्रस्तुत जांच रिपोर्ट पर आधारित है, वह जांच रिपोर्ट विधानसभा से अनुमोदित ही नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि रिपोर्ट बिना किसी ठोस वैधानिक आधार के एमपक्षीय तरीके से तैयार की गई थी।