राहुल गांधी क सारथी बने दिग्विजय: किया मंच संचालन

नई दिल्ली। लंबे प्रवास से लौटे राहुल गांधी को फिर से सक्रिय करने के लिए बुलाई गई किसान रैली में कांग्रेस के भीतर हो रहे बदलावों का भी नक्शा साफ दिखा। पिछले आम चुनाव में बुरी तरह से पराजित होने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए छटपटा रही कांग्रेस की इस अहम रैली का संचालन पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने किया।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला मौका है जब उत्तर भारत में राष्ट्रीय स्तर की किसी रैली का मंच संचालन जनार्दन द्विवेदी की जगह किसी और ने किया है।

कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी से द्विवेदी को किनारे करने को उनके राहुल के विरोधी खेमे से जोड़ कर देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस की अगुवाई को लेकर पार्टी में दो फाड़ होने की खबरें आम है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत कई वरिष्ठ नेता सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि राहुल को अभी जिम्मेदारी देने के बजाए सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष पद पर बने रहा चाहिए।

माना जा रहा है कि द्विवेदी इस खेमे की सोच के प्रमुख पैरोकार हैं। उनकी छवि राहुल विरोधी की बन चुकी है। जबकि दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई अन्य नेता अब राहुल गांधी को सीधे तौर पर पार्टी का बागडोर देने के पक्ष में है।

इसके बावजूद मंच पर राहुल गांधी ने यह दिखाने की हर संभव कोशिश की है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक है। खास तौर पर जिस तरह से उन्होंने कार्यक्रम शुरु होने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पहले सीट पर बिठाया।

यही नहीं रैली के समापन पर भी उन्होंने मनमोहन सिंह, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे को मंच से उतरने दिया और उसके बाद सबसे पीछे उतरे। यही नहीं राहुल के अड़ जाने पर ही मंच का समापन अध्यक्ष सोनिया गांधी से करवाया गया। पहले तैयारी यह थी कि परंपरा को तोड़ते हुए कार्यक्रम के अंत में राहुल गांधी भाषण दे। लेकिन राहुल के जोर देने पर इसमें बदलाव किया गया। इस तरह से उन्होंने यह जताया कि पार्टी में ओल्ड गार्ड और न्यू गार्ड के बीच कोई द्वंद नहीं है।

If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!