जबलपुर। पैरामेडिकल कॉलेजों में स्कॉलरशिप फर्जीवाड़े मामले की जांच के लिए सोमवार को लोकायुक्त टीम कलेक्ट्रेट पहुंची। टीम ने आदिवासी विकास विभाग के प्रमुख प्रशांत आर्य से साल 2009 में जारी स्कॉलरशिप के मामले में लंबी पूछताछ की और कॉलेजों और छात्रों से जुड़े दस्तावेज देखे। लोकायुक्त की टीम इस मामले की कई माह से जांच कर रही है। जांच का दायरा विभाग के बाद अब उन अधिकारियों तक भी पहुंच सकता है जो उस दौरान जिले में पदस्थ रह चुके हैं।
इसलिए हो रही जांच
साल 2009-10 तक आदिवासी विकास विभाग के जरिए निजी पैरामेडिकल व तकनीकी कॉलेजों को शासन स्तर से फंड जारी किया जाता था। कॉलेज प्रबंधन इस फंड को अपने हिसाब से स्कॉलरशिप देने के लिए उपयोग करता था। लेकिन बाद में कई कॉलेजों में फर्जी छात्रों के होने और स्कॉलरशिप अनियमितता की शिकायतें सामने आईं। वर्तमान में 20 से ज्यादा पैरामेडिकल कॉलेज जिले में चल रहे हैं। करोड़ों रुपए के गोलमाल को लेकर छात्र संगठनों ने भी शिकायतें की हैं। यहां तक कि आदिवासी विकास विभाग के तीन सहायक आयुक्तों को निलंबित भी किया गया।
लोकायुक्त टीम को पैरामेडिकल कॉलेजों से जुड़े दस्तावेज और जानकारी दी गई है। ये मामला साल 2009 में जारी स्कॉलरशिप से जुड़ा है।
प्रशांत आर्य, प्रभारी आदिवासी विकास विभाग