ग्वालियर। व्यापमं घोटाले के तहत चल रही पीएमटी कांड की जांच के दौरान एक नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि एक सरकारी अस्पताल का कंपाउंडर सागर की फोरेंसिक लैब की जांच रिपोर्ट बदलवाने के लिए 3 से 5 लाख रुपए ले रहा था। इस मामले में फोरेंसिक लैब की ईमानदारी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पीएमटी कांड में जांच एजेंसियों को फर्जी डाॅक्टर की एफएसएल रिपोर्ट में हेरफेर करने वाले दलाल का पता चल गया है। फर्जीवाड़ा दतिया के सरकारी अस्पताल के कम्पाउडर कमलेश द्वारा एफएसएल रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा 36 संदिग्ध छात्रों की सूची में 3 से 5 लाख रूपये लेकर किये जाने की जानकारी मिली है। कमलेश के बेटे विवेक निरंजन ने 2009 बैच में पीएमटी की परीक्षा फर्जी ढंग से पास की थी। इस कार्य के लिये दलाल अमित और विनायक को 4 लाख रूपये दिये थे।
हाईकोर्ट के आदेश पर जीआरएमसी ने 36 संदिग्ध छात्रों की जांच सागर की फोरेंसिक लैब को भेजी तो कम्पाउडर ने 3 से 5 लाख में बचाने की डील कर ली। कमलेश का दोस्त सागर फोरेंसिक लैब में पदस्थ था। कम्पाउडर पिता अपने बेटे विवेक को डाॅक्टर बनाना चाहता था। बाद में विवेक खुद ही दलाल बन गया था, उसने 2009 बैच में विकास कनौजिया का 3 लाख में साॅल्वर के जरिये तथा 2010 बैच में देवेन्द्र गौतम को पीएमटी पास कराई। इसमें कम्पाउडर कमलेष को पकड़ने पर कई बड़े लोगों के नाम तथा जिनकी रिपोर्ट बदली है। उनके नाम आने की संभावना हैं।