यहां गणेशजी को चढ़ाया जाता है गोंद का प्रसाद

बुरहानपुर। करीब 400 साल पुराने इस गणेश मंदिर में लड्डुओं या मोदक का प्रसाद प्रमुखता से नहीं चढ़ाया जाता, यहां विराजित गणेशजी को तो गोंद से बने मिष्ठान प्रिय हैं और वही इन्हें समर्पित किए जाते हैं। हालांकि अब लड्डू और मोदक भी चढ़ाए जाने लगे हैं परंतु पीढ़ियों पुरानी परंपरा गोंद से मिष्ठान समर्पित किए जाने की ही है।

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर में गोंद का प्रसाद चढाए जाने की परंपरा के कारण यह अपने आप में अनूठे मंदिर के रूप में ख्याति प्राप्त है। इस मंदिर में लड्डुओं और मोदक के अलावा गोंद का प्रसाद वर्षा से चढाया जाता है। यह परंपरा आज भी बरकरार है।

मंदिर क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष तिल संकष्टी चतुर्थी को एक दिन का मेला आयोजित किया जाता है। इस वर्ष यह मेला आज गुरूवार को आयोजित किया गया जिसमें आसपास के जिलों के लोग भी शामिल हुए। लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस मंदिर के मेले में शामिल होने आने वाले श्रद्धालु गोंद का प्रसाद चढाते हैं। यही प्रसाद यहां आने वाले श्रद्धालुों को वितरित किया जाता है। मेले के दिन क्विंटलों से गोंद से निर्मित विशेष प्रकार का मिष्ठान प्रसाद के रूप में चढाया जाता है।

मंदिर समिति के प्रमुख तेजपाल भट्ट ने बताया कि मंदिर चार शताब्दी पुराना है। सदियों से मंदिर में प्रसाद के रूप में गोंद चढाने की परंपरा आज भी कायम है। र्सदी के मौसम में गोंद खाना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस परंपरा को इससे भी जोडकर देखा जाता है। गोंद विक्रेता नरेश गुप्ता का कहना है कि वृक्षों से प्राकृतिक रूप से प्राप्त गोंद को पहले घी में तला जाता है। फिर उसे शक्कर की चाश्नी में उबाल कर छोटे छोटे गोल आकार में ढाल कर बेचा जाता है। मेले में क्विंटलों से गोंद की बिक्री होती है।

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