भट्टा-पारसौल में सुलग रही है देश के सबसे बड़े किसान आंदोलन की चिंगारी

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दनकौर। कांग्रेस इन दिनों भट्टा-पारसौल में देश के सबसे बड़े किसान आंदोलन की चिंगारी को सुलगा रही है। वो चाहती है कि यहां से मोदी के खिलाफ एक बड़े जमीनी आंदोलन की शुरूआत की जा सके। इसी उपक्रम के चलते किसान चेतना महापंचायत का आयोजन किया गया। 

भट्टा-पारसौल में बुधवार को हुई किसान चेतना महापंचायत में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि जिस जमीन अधिग्रहण नीति को कांग्रेस ने 2 साल की मेहनत से तैयार किया था, उसे मोदी सरकार ने एक अध्यादेश के जरिये मात्र दो घंटे में बदल डाला।

रमेश ने कहा कि इसके विरोध में भट्टा से बड़ा आंदोलन शुरू होगा। कांग्रेस संसद से लेकर सड़क तक विरोध करेगी। गौरतलब है कि मई 2011 में इसी गांव में खूनखराबे के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जमीन अधिग्रहण का नया कानून पास कराने का वादा किया था और अब यहीं से कांग्रेस ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। महापंचायत को कवर करने के लिए मीडिया का जमावड़ा लगा रहा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने मोदी सरकार को तानाशाह बताते हुए कहा कि मात्र आठ महीने में ही इस सरकार का असली चेहरा दिख गया है। इस सरकार ने कांग्रेस के किसान हितैषी कानून को किसान विरोधी बना दिया। नए अध्यादेश से बिल्डर्स और पूंजिपतियों को लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ धर्मांतरण कराकर घर वापसी में विश्वास करती है, न कि किसानों को उनका हक देने में। कांग्रेस जल्द ही भट्टा-पारसौल गांव से बड़ा आंदोलन करने की योजना बना चुकी है। महापंचायत के बाद कांग्रेस प्रवक्ता धीरेंद्र सिंह के रबूपुरा स्थित निवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयराम रमेश ने कहा कि यहां वह राहुल गांधी के कहने पर आए हैं।

बुधवार की महापंचायत में गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर और अलीगढ़ जिले के सैकड़ों किसान पहुंचे। इनमें महिलाएं भी थीं। महापंचायत को कई किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया है। इस मौके पर प्रदीवप जैन पूर्व राज्य मंत्री, नसीर पठान, धीरेंद्र सिंह, अजीत दौला, तफसीर आलम, महेंद्र नागर, आलोक सिंह और महेंद्र सिंह परिहार समेत दर्जनो कार्यकर्ता मौजूद थे।

भट्टा-पारसौल ही क्यों
इस गांव में जमीन अधिग्रहण के मसले आंदोलन कर रहे किसानों व पुलिस के बीच 7 मई 2011 को खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें 2 पुलिसकर्मियों और 2 किसानों की मौत हो गई थी। 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। यूपी में उस समय बीएसपी की सरकार थी। अब यहीं से फिर से आंदोलन की बिगुल बजने की तैयारी में है।

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