गली गली नुक्कड़ सभाएं लेना पड़ रहीं हैं शिवराज को

भोपाल। विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों से बेटिकिट लौटो आलोक शर्मा को सांतवना के तौर पर महापौर का टिकिट तो दे दिया गया परंतु अब उन्हें भाजपा की शान के अनुसार जिताने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गली गली नुक्कड़ सभाएं लेनी पड़ रहीं हैं।

इतना ही नहीं सभाओं में विकास की गारंटी भी शिवराज सिंह चौहान ही ले रहे हैं। आज हुए रोड शो के दौरान उन्होंने कदम कदम पर मतदाताओं को संबोधित करते हुए बार बार दोहराया कि 'आप लोग आलोक को जिताइए, विकास की सारी जिम्मेदारी मेरी।' एक भी स्थान पर वो दावे के साथ यह नहीं कह पाए कि आलोक शर्मा एक योग्य प्रत्याशी है, आप इसे टिकिट दीजिए, ये आपको विकास करके दिखाएंगे।

पिछले कई वर्षों से आलोक शर्मा घर से बीजेपी आॅफिस और भाजपा कार्यालय से घर आते जाते रहे हैं। सीएम हाउस का चपरासी भी उन्हें बहुत बेहतर तरीके से पहचानता है परंतु भोपाल की सड़कों पर बैठे कई प्रतिष्ठित व्यापारियों के लिए आलोक शर्मा एकदम नया चैहरा थे। आज हुए रोड शो में कई लोगों ने पहली बार आलोक शर्मा को देखा। उनका कहना था कि यदि भाजपा के झंडे और दिग्गज नेताओं का साथ ना होता तो इस प्रत्याशी को पहचान पाना ही मुश्किल था।


अकेले शिवराज के सहारे चुनाव मैदान में उतरे आलोक शर्मा अब शिवराज के लिए भी चिंता का सबब बन गए हैं। वो आलोक शर्मा को जिताने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पूरा का पूरा मंत्री मण्डल भोपाल में झोंक दिया है। गली गली लालबत्तियां घूम रहीं हैं। बावजूद इसके आलोक शर्मा की सम्मानजनक जीत सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।

आज जब शिवराज सिंह चौहान ने रोड शो के दौरान जनता को संबोधित किया तो ऐसा लगा मानो महापौर पद का प्रत्याशी बोल रहा है। शिवराज को नगरनिगम के बारे में आलोक शर्मा से कहीं ज्यादा जानकारी थी। उन्हें मालूम था कि भोपाल का विकास कहां से होगा और कैसे होगा। वो हर उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जो जनता के मन में मौजूद हैं। इस तरह से उन्होंने खुद को एक योग्य व्यक्ति निश्चित रूप से प्रमाणित कर दिया परंतु महापौर पद का प्रत्याशी भी इतना ही योग्य है, इसका समर्थन शिवराज भी नहीं कर पाए।

अब जनता भी उल्लू तो है नहीं, वो बेहतर जानती है कि जलकर, संपत्तिकर, साफ सफाई, सड़कों की मरम्मत और लावारिस कुत्तों को भगाने का आवेदन लेकर वो सीएम हाउस तो नहीं जा पाएंगे, इसके लिए नगरनिगम ही जाना होगा, और यदि वहां एक संवेदनशील व जनता की पीड़ा को समझने वाला व्यक्ति ना मिला तो भगवान जाने क्या होगा इस भोपाल का।

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