भोपाल। लगता है शिवराज सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगा लगाकर ही खजाना भरने का मन बना चुकी है। अब पेट्रोल-डीजल पर एक नया टैक्स लगाने की तैयारी चल रही है, नाम है शिक्षा उपकर। वही जो बिजली के बिल में भी लगता है। बहाना वही पेट्रोल-डीजल के दाम घट रहे हैं, टैक्स लगाने ने आम आदमी पर फर्क नहीं पड़ेगा। आम आदमी भी चुप है, उसके हिसाब से दाम घट नहीं रहे, लेकिन बढ़ भी नहीं रहे। उसे पता तो तब चलेगा जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ेंगे, तब ये टैक्स उसके सीने में नश्तर की तरह घुसेंगे।
फिलहाल खबर यह है कि सरकार अपना खाली खजाना भरने अब पेट्रोल-डीजल पर वैट का नया फार्मूला तय करने के साथ शिक्षा उपकर लगाने के लिए गंभीरता से विचार कर रही है, वहीं उद्योगों को दी गई वाणिज्यकर विभाग की कई छूट वापस हो सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को वाणिज्यकर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव से वन-टु-वन में इन सुझावों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले वर्ष 1997 में जबलपुर में भूकंप आने पर राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर दो प्रतिशत सरचार्ज लगाया था, लेकिन वैट आने के बाद ये समाप्त हो गया था। प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने बताया कि पिछली बार जब पेट्रोल-डीजल पर 4 प्रतिशत वैट लगाया था, तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड 68 डालर प्रति बैरल था। उस स्थिति में सरकार को 31 मार्च तक होने वाले 660 करोड़ के नुकसान में से केवल 150 करोड़ की भरपाई हो पाई थी।
आज की स्थिति में क्रूड ऑयल 46 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। इससे सरकार को प्रतिमाह 30 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान होगा। श्रीवास्तव ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर अब प्रतिशत की बजाए एक फार्मूला तय कर प्रति लीटर के हिसाब से वैट लिया जाए तो ही इस नुकसान को रोका जा सकता है। श्रीवास्तव ने बताया कि इसके साथ दो प्रतिशत शिक्षा उपकर भी लगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने उनके सुझाव पर सहमति देते हुए प्रस्ताव बनाकर लाने को कहा है। श्रीवास्तव ने विभाग के राजस्व को बढ़ाने के लिए कुछ अन्य सुझाव भी मुख्यमंत्री के सामने रखे, जिस पर भी सैद्धांतिक सहमति बन गई है। इनमें वाणिज्यकर विभाग के अपर आयुक्त से लेकर भृत्य तक के 47 प्रतिशत रिक्त पदों को पीएससी की जगह सीधे एमपी ऑनलाइन से भरने, कर्मचारियों को इंसेंटिव और मुखबिर तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहन योजना शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि राजस्व बढ़ाने के नए रास्ते ढूंढने के साथ राजस्व चोरी पर अंकुश लगाने पर भी ध्यान दिया जाए।
उद्योग छूट वापस लेने का मांगा प्रस्ताव
मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने वाणिज्यकर आयुक्त राघवेन्द्र सिंह को निर्देश दिए कि उद्योगों सहित अन्य संस्थाओं को वाणिज्यकर द्वारा दी जाने वाली विभिन्न् छूटों को वापस लेने का प्रस्ताव तैयार कर तत्काल राज्य सरकार को भेजें। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में स्पष्ट उल्लेख करें कि अब उद्योगों को विशेष प्रकरण में छूट केवल कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर दी जाएगी।
तेजी से घट रहा राजस्व
सरकार को करों से होने वाली आय में कमी दिखाई दे रही है। दरअसल 19 दिसंबर तक वित्त विभाग ने विभिन्न् विभागों से मिलने वाले टैक्स का अनुमान 6873.77 करोड़ लगाया था। वह आज की स्थिति में घटकर 5879.48 करोड़ रह गया। मात्र एक माह में 995 करोड़ के टैक्स वसूली का अनुमान कम होने से खजाने की स्थिति गड़बड़ होने लगी है। इसी के चलते राज्य सरकार ने हर वर्ष की तरह 15 जनवरी से सरकारी खरीदी पर पूरी तरह रोक लगा दी है।
अनुदान प्राप्त संस्थाओं का भार कम करेगा उपकर
हाल में अनुदान प्राप्त स्कूल- कॉलेजों के शिक्षकों को छठवां वेतनमान देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार पर सीधा 4500 करोड़ का अतिरिक्त भार आया है। सरकार को यह राशि 900 कराेड प्रतिवर्ष के हिसाब से पांच किश्तों में देना है। ऐसा माना जा रहा है कि इस राशि को जुटाने के लिए राज्य सरकार पेट्रोल डीजल पर शिक्षा उपकर लगाने की तैयारी कर रही है। वर्तमान में वाणिज्य कर विभाग को पेट्रोल डीजल से लगभग 6000 करोड़ का राजस्व मिलता है। ऐसे में 2 प्रतिशत उपकर लगने पर सरकार को 120 करोड़ रुपए की सालाना अतिरिक्त आया होगी।
पेट्रोल-डीजल मप्र में होगा और महंगा
- 2 फीसद उपकर लगाने की तैयारी का होगा असर
- पेट्रोल पर वैट 31 फीसद, वर्तमान कीमत पर अभी सरकार को 15.92 रुपए और डीजल पर 27 फीसद वैट से 12.24 रुपए मिलते हैं।
- वैट पर 2 फीसद उपकर लगने से पेट्रोल 31 पैसे और डीजल 24 पैसे हो सकता है महंगा
- अभी भोपाल में पेट्रोल 64.87 रुपए प्रति लीटर और डीजल 55.26 रुपए प्रति लीटर
- वाणिज्यकर विभाग का राजस्व बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है। अधिकांश सुझावों पर सहमति मिल गई है। पेट्रोल-डीजल पर वैट का नया फार्मूला तय करने के साथ शिक्षा उपकर लगाने पर भी विचार किया जा रहा है।
मनोज श्रीवास्तव
प्रमुख सचिव वाणिज्यकर