भोपाल| मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम में निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी की संख्या एक शेष रह जाने पर निर्विरोध निर्वाचन सम्पन्न होगा। इसमें प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिया जायेगा। लेकिन अगर किसी अभ्यर्थी को दवाब डालकर या प्रलोभन देकर निर्वाचन लड़ने से रोका जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।
मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 47 में निर्विरोध निर्वाचन संबंधी प्रावधान उपलब्ध है। निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की संख्या एक शेष रह जाने पर निर्विरोध निर्वाचन सम्पन्न होगा। मध्यप्रदेश शासन द्वारा ग्राम पंचायत में लोकतांत्रिक प्रशासन के लिये आपसी सामंजस्य के आधार पर निर्विरोध पंचायत पदाधिकारियों के निर्वाचन हेतु प्रोत्साहन पुरस्कार की घोषणायें की गई हैं।
निर्वाचन आयोग पंचायतों के निर्वाचन में किसी पात्र अभ्यर्थियों को निर्वाचित होने और जनता के बीच जाकर अपनी लोकप्रियता सिद्ध कर निर्वाचित होने के लिये निष्पक्ष रूप से पूर्ण अवसर उपलब्ध कराता है। इस तरह बिना किसी भय और दवाब में आए कोई भी अभ्यर्थी निर्वाचन लड़कर निर्वाचित हो सकता है। सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध है।
यदि किसी अभ्यर्थी के दवाब या डरा-धमकाकर निर्वाचन लड़ने से रोकने या कोई प्रलोभन देकर रोकने का प्रयास किया जाता है तो यह निर्वाचन अपराध की श्रेणी में आयेगा। ऐसे समस्त प्रकरणों में म.प्र. स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन अपराध अधिनियम 1964 (संशोधित 2014) एवं आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता एवं लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-123 में निहित प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी। आयोग किसी भी व्यक्ति के वैधानिक अधिकारो का हनन नहीं होने देने बावत् प्रतिबद्ध है।