2500 मरीजों को चढ़ा दिया HIV संक्रमित खून

अहमदाबाद। 21 साल की सुनीता मिश्रा को 2012 में हुए एक कार हादसे के बाद से अब तक भी दवाई खानी पड़ी रही हैं। कार दुर्घटना के बाद सुनीता को वडोदरा के पास एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसके कुछ दिन बाद उन्हें छुट्टी को दे दी गई थी। हालांकि सुनीता के पिता आज भी सरकारी अस्पताल से उनके लिए दवाई लाते हैं। दरअसल, सुनीता प्राइवेट अस्पताल में खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी का शिकार हो गई थीं।

एक तरफ गुजरात मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की कोशिश कर रहा है लेकिन रक्त के आदान-प्रदान के दौरान पिछले 6 सालों में गुजरात में 2500 लोग एचाईवी का शिकार हो चुके हैं। एक आरटीआई के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने खुलासा किया है कि रक्त के आदान-प्रदान के कारण हुए एचआईवी इंफेक्शन के 271 मामलों के साथ गुजरात देश में टॉप पर है। हैरानी की बात यह है कि पिछले छह सालों में राज्य में ऐसे सबसे ज्यादा मामले सामने आई हैं। एक्सर्ट्स का मानना है कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और ब्लड बैंक का खराब प्रबंधन इसके लिए जिम्मेवार है।

नैशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में 2008 से 2013 तक आंकड़ों का खुलासा किया है। इस डेटा के मुताबिक, 2008 में गुजरात में एचआईवी इंफेक्शन के 192 मामले दर्ज हुए। 2009 में बड़े उछाल के साथ यह आंकड़ा 563 पहुंच गया, हालांकि इसके बाद इंफेक्शन के मामलों में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई। फिर भी एचआईवी इंफेक्शन के मामले में गुजरात टॉप पर ही रहा। 2013 में गुजरात में इचआईवी इंफेक्शन के 271 मामले दर्ज हुए। इस सूची में 230 केस के साथ यूपी दूसरे, 198 मामलों के साथ महाराष्ट्र तीसरे और 143 मामलों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर रहा।

गुजरात सरकार ने इस आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य में ऐसी स्थिति नहीं है। गुजरात राज्य परिषद (ब्लड ट्रैन्स्फ्यूश़न) के जॉइंट डायरेक्टर एमडी गज्जर का कहना है, 'आरटीआई के जवाब में गलत आंकड़े दिए गए हैं। रक्त के आदान-प्रदान के दौरान एचआईवी इंफेक्शन के मामले.02 फीसदी से कम हैं। राज्य में ऐसे मामले में बेहद कम हैं।'

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!