इंदौर। एमजी रोड स्थित एक बार के सामने से गायब हुए वकील देवेंद्र खंडेलवाल की हत्या कर दी गई है। इसका खुलासा 6 दिन बाद सोमवार को हुआ। हत्यारों ने पहले उनकी गला घोंटकर हत्या की, फिर शव लेकर कार में घूमते रहे और करीब 5 घंटे बाद खरगोन के करही इलाके के जंगल में पेट्रोल डाल कर आग लगा दी। इस दौरान किसी भी मोड़ पर पुलिस ने इस संदिग्ध कार को टटोलने की कोशिश तक नहीं की।
हत्या भंवरकुआं क्षेत्र के 50 हजार वर्गफीट की उस जमीन को लेकर की गई, जिसका बाजार भाव लगभग 20 करोड़ रुपए है। इसके लिए बुरहानपुर के सटोरिए को डेढ़ करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि परिजन अभी भी इसे देवेंद्र का शव मानने से इंकार कर रहे हैं। पुलिस अब करही में मिले शव का डीएनए टेस्ट करवाएगी।
अग्रवाल नगर निवासी देवेंद्र खंडेलवाल 23 दिसंबर दोपहर को बीजी बार के सामने से लापता हो गए थे। परिजन ने जमीन विवाद की वजह से अपहरण की आशंका जताई थी। डीआईजी राकेश गुप्ता ने बताया कि इस आधार पर ही हमने छानबीन शुरू की थी। बार के सामने के सीसीटीवी फुटेज देखे तो देवेंद्र दो लोगों के साथ जाते हुए दिखे। यह फुटेज जब परिजन को दिखाया गया तो उन्होंने बताया कि यह महेंद्र ठाकुर और रूपेश उर्फ भूपेंद्र शर्मा हैं। दो-ढाई महीने पहले ही देवेंद्र से उनकी दोस्ती हुई थी।
कॉल डिटेल और छानबीन के आधार पर पुलिस ने कोटा की एक लॉज से रूपेश को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर विजय चौकसे और किशनलाल राय को इंदौर स्थित उनके घर से पकड़ा। महेंद्र और प्रभाकर अभी फरार हैं। पकड़ाए आरोपियों ने देवेंद्र की हत्या करने की बात कबूली। किशनलाल राय बुरहानपुर का पुराना सटोरिया है। पिछले कुछ समय से इंदौर में रहकर शहर के बड़े गुंडे के साथ मिलकर विवादित प्रॉपर्टियों की डिलिंग करता है। विजय किशन के साथ रहता है। प्रभाकर ऑटो चलाता है और पुराना बदमाश है।
20 करोड की जमीन के लिए हुई हत्या
देवेंद्र की हत्या मदनमोहन मालवीय होस्टल के पास की लगभग 20 करोड़ की 50 हजार वर्ग फीट की जमीन को लेकर हुई है। इस जमीन को लेकर उसके और एमआर 10 चौराहे के पास रहने वाले लालचंद हार्डिया के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। कुछ माह पहले सत्यसांई चौराहे के पास प्रॉपर्टी का काम करने वाले किशनलाल राय ने लालचंद से संपर्क कर आश्वासन दिया कि वह देवेंद्र से जमीन खाली करवा देगा। इसके लिए उसने लालचंद से डेढ़ करोड़ की सुपारी ली। डील तय होने के बाद देवेंद्र को ठिकाने लगाने के लिए महेंद्र और रूपेश को 1-1 लाख रुपए दिए थे।
ऐसे की हत्या
23 दिसंबर को देवेंद्र कोर्ट के काम से हातोद गया था। वहां से जब वो इंदौर आया तो महेंद्र और रूपेश ने उसे बीजी बार में बुलाया। यहां शराब पीने के बाद उन्होंने प्रभाकर को फोन लगाया।
प्रभाकर कार लेकर बाहर खड़ा रहा और फिर महेंद्र और रूपेश देवेंद्र को लेकर कार में सवार हुए।
तीनों देवेंद्र को लेकर सांवेर रोड क्षेत्र में गए। इसी दौरान चलती गाड़ी ने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी।
लाश लेकर तीनों सत्यसाईं चौराहे के पीछे किशनलाल राय के ऑफिस पहुंचे, वहां से किशन और विजय चौकसे भी गाड़ी में सवार हुए।
उसके बाद पांचों देवेंद्र की लाश को ठिकाने लगाने के लिए करही के जंगलों में पहुंचे। वहां गाड़ी खराब होने पर उन लोगों ने शव को पेट्रोल डाल कर आग लगा दी। वहां से रूपेश कोटा भाग गया, किशनलाल और विजय इंदौर आ गए और महेंद्र और प्रभाकर फरार हैं।