प्रशासनिक मदद से ओलापीड़ित किसानों को लूट रहे हैं भाजपा के बिचौलिए: कांग्रेस

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष रामेश्वर नीखरा ने कहा है कि इन दिनों सरकार की तरफ से गेहूं उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं एवं चने की खरीदी की प्रक्रिया जारी है।

जिलों से बराबर शिकायतें मिल रही हैं कि किसान बैलगाडि़यों और ट्रालियों में लादकर उपार्जन केंद्रों में गेहूं ला रहे हैं, किंतु उनके गेहूं को गुणवत्ता के नाम पर कमजोर बताकर खरीदने से इंकार कर दिया जाता है और ओला और बारिश के कारण फसल को पहुंचे नुकसान के संबंध में उनकी बात कहीं नहीं सुनी जा रही।

ऐसे किसानों को भाजपा के बिचैलिये उपार्जन केंद्र के बाहर घेर रहे हैं और ऐन-केन-प्रकारेण उनकी कुछ कमजोर फसल को व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम पर बिकवा कर ओला पीडि़त किसानों को खुले आम लूट रहे हैं। किसान पुत्र मुख्यमंत्री के राज में किसानों की कड़ी मेहनत पर बिचैलियों और व्यापारियों द्वारा इस तरह डाका बेरोकटोक जारी रहना सचमुच बड़े आश्चर्य एवं शर्म की बात है और बिचैलियों द्वारा अधिकारियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर बेच कर भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

श्री नीखरा ने कहा है कि पिछले दिनों जो भीषण ओलावष्टि और बेमौसम बारिश हुई थी, उससे रबी फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। वह प्राकृतिक आपदा किसानों के वश की बात नहीं थी। किसान गेहूं-चने की काफी फसल बर्बाद हो जाने के कारण इन दिनों गंभीर संकट में हैं। ऐसे समय में उनकी जो फसल प्राकृतिक आपदा के कारण बर्बाद होने से बच गई है, लेकिन उसकी गुणवत्ता पर थोड़ा विपरीत असर पड़ा है, उसको समर्थन मूल्य पर खरीदने से सरकार को हाथ पीछे नहीं खींचना चाहिए, क्योंकि अब इसी बची फसल पर पीडि़त किसानों की सारी जरूरतों की पूर्ति का दारोमदार है। यदि उस फसल का भी उनको वाजिब दाम सरकार नहीं देगी, तो वे कहीं के नहीं रहेंगे और अंततः उनको आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने कहा है कि पीडि़त किसानों से कमजोर फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी के मामले में अधिकारियों, भाजपा के बिचैलियों और मुनाफाखोर व्यापारियों की सांठगांठ के जरिये किसानों को चक्रव्यूह में जबरन फंसाकर उनका गेहूं कहीं 600 रूपये में तो कहीं 800 और कहीं 1000 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर व्यापारियों द्वारा जबरिया खरीदा जा रहा है।

आपने कहा है कि ठगी के इस कारोबार के चलते किसानों को भारी आर्थिक हानि उठाना पड़ रही है। प्रकृति की मार के बाद ओला-बारिश पीडि़त किसान सरकार की इस मार को झेलने की स्थिति में कतई नहीं हैं। ऐसी दशा में सरकार को कमजोर फसल के संबंध में गुणवत्ता को लेकर कोई विशेष नीति बनाकर किसानों की ऐसी फसल समर्थन मूल्य पर खरीदने की अविलंब व्यवस्था करना चाहिए, जिससे कि इन दिनों प्रदेश भर में किसानों की जो लूट चल रही है, वह बंद हो सके। 

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