कलंग देश का राजा मधुपर्क, एक बार जब खा रहा था। उसके प्याले में से थोड़ा सा शहद टपक कर जमीन पर गिर पड़ा। उसने उसे साफ करने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि उसके दिमाग में ये ख्याल आया कि अरे! मैं क्यूँ साफ करूँ, मैं तो राजा हूँ। नौकर आएगा, साफ करेगा।
नौकर आया, पर उसका ध्यान उस तरफ नहीं गया और वो उसे साफ किए बगैर ही चला गया। हुआ ये कि उस शहद को चाटने मक्खियाँ आ गईं। मक्खियों को इकट्ठी देख छिपकली ललचाई और उन्हें खाने के लिए आ पहुँची। छिपकली को मारने बिल्ली पहुँची, जो कि राजमहल में ही रहती थी।
इतना ही कम नहीं था कि राजमहल के बाहर बगीचे में घूम रहे कुत्ते वहाँ पर किसी तरह से आ पहुंचे और बिल्ली पर दो-तीन कुत्ते टूट पड़े। बिल्ली तो किसी तरह भाग गई पर कुत्ते आपस में लड़कर घायल हो गए।
कुत्ते के मालिक को जब ये बात पता चली तो वे वहाँ पहुंचे। कुत्तों के मालिक अपने-अपने कुत्तों के पक्ष का समर्थन करने लगे और दूसरे का दोष बताने लगे। इस पर लड़ाई ठन गई।
लड़ाई में दोनों ओर की भीड़ बढ़ी और आखिर सारे शहर में बलवा हो गया। दंगाइयों को मौका मिला तो सरकारी खजाना लूटा और राजमहल में आग लगा दी।
जब ये सब शांत हुआ और राजा ने इतने बड़े उपद्रव का कारण पूछा तो मंत्री ने जाँचकर बताया कि आपके द्वारा असावधानी से गिराया हुआ थोड़ा सा शहद ही इतने बड़े दंगे का कारण बना। तब राजा समझा कि छोटी सी असावधानी भी मनुष्य के लिए कितना बड़ा संकट उत्पन्न कर सकती है।