भोपाल। इन्दौर के ट्रेजर आईलैंड शॉपिंग मॉल मामले में चल रही सीबीआई जांच में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बेकसूर साबित हो गए हैं। सीबीआई को इस मामले में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले जो दिग्विजय सिंह के इस मामले में शामिल होने के प्रमाण के तौर पर उपयोग किए जा सकें।
एजेंसी सूत्रों ने दावा किया कि तकरीबन डेढ़ साल की जांच के बाद सीबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर मामले में उन्हें आरोपित किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने ‘सीलबंद लिफाफे’ में दी अपनी रिपोर्ट में उच्च न्यायालय को मामले की स्थिति के बारे में सूचित किया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय एजेंसी को भावी कार्रवाई के बारे में आदेश देने को स्वतंत्र है। एजेंसी ने 2012 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के आदेश पर जांच शुरू की थी। अदालत ने ‘‘वरिष्ठ अधिकारियों, तत्कालीन मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव और पर्यावरण मंत्री तथा अन्य की भूमिकाओं की जांच का आदेश दिया था।’’
यह मामला इन आरोपों से संबंधित है कि एक लाख वर्ग फुट के आवासीय भूखंड पर मॉल का अवैध निर्माण किया गया। मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर आरोप था कि उसने इसके निर्माण में गैर जरूरी रियायत दी।
19 अक्तूबर 2012 को न्यायमूर्ति पी के जायसवाल और न्यायमूर्ति मूलचंद गर्ग की पीठ ने अपने आदेश में सीबीआई को मामले की जांच और छह महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। पीठ ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता महेश गर्ग की याचिका पर दिया था। गर्ग ने राज्य की आर्थिक अपराध शाखा में 2009 में शिकायत दर्ज कराई थी जिसने सिंह को क्लीन चिट दे दी थी।