भोपाल। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में बीते वर्ष हुई एक युवक अखिलेश शाह की संदिग्ध मौत के मामले में गैर सरकारी संगठन द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व सेवानिवृत्त पी. सी. जैन की अध्यक्षता में कराई गई जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है।
इस जांच प्रतिवेदन में अखिलेश की मौत कुएं में डूबने से नहीं बल्कि पुलिस प्रताड़ना के चलते होने का खुलासा हुआ है। भोपाल में जांच प्रतिवेदन जारी करते हुए जैन ने आज पत्रकारों को बताया कि सिंगरौली में अखिलेश शाह को पुलिस ने वाहन से डीजल चोरी किए जाने के मामले में हिरासत में लिया था, मगर उसके खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं था। उसके चचेरे भाई संजय पर जरूर डीजल चोरी का प्रकरण दर्ज था।
जांच प्रतिवेदन कहता है कि प्रकरण दर्ज न होने के बावजूद पुलिस ने अखिलेश को हिरासत में लिया और उसके अगले दिन उसका शव कुएं में मिला। पुलिस का कहना था कि अखिलेश थाने से भाग गया था और उसकी कुएं में गिरने से मौत हो गई। इस घटना के विरोध में जब क्षेत्रीय लोग सड़क पर उतरे तो पुलिस ने गोलीबारी की। इसमें एक बच्चे की मौत हुई थी और तीन लोग घायल हुए थे।
स्थानीय लोगों के बयान और जुटाए गए तथ्यों के आधार पर जैन ने बताया कि अखिलेश को थाने में प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई और शव को बाद में कुएं में फेंक दिया गया। जैन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि इसमें मौत की वजह पानी में डूबना नहीं है, बल्कि उसके शरीर पर चोट के निशान मिले हैं।
दो सामाजिक संगठन दिल्ली फोरम और पैरवी के आग्रह पर जैन ने सिंगरौली का दौरा किया और इस घटनाम पर लोगों से चर्चा करने के साथ विस्तृत प्रतिवेदन (फैक्ट फाइंडिंग) तैयार किया, जिसे आज भोपाल में जारी किया गया है। इस प्रतिवेदन को पूर्व न्यायाधीश की मौजूदगी में राष्ट्रीय और राय मानवाधिकार आयोग को सौंपकर पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग करेंगे।
जैन का आरोप है कि सिंगरौली में स्थापित हो रहे संयंत्रों के संचालकों को पुलिस का पूरा संरक्षण प्राप्त है और उनके इशारे पर ही क्षेत्रीय लोगों को परेशान किया जाता है। उसी का एक उदाहरण अखिलेश की मौत और उसके भाई संजय सिंह को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जाना है। जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ए. जयदेवन सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किए जाने की मांग की गई है। जैन के साथ जांच दल में सौम्या दत्त, संजीव कुमार, अनुराधा भार्गव और अजीता जार्ज आदि शामिल थे।