इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के पैरामेडिकल कॉलेजों में आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को सरकारी छात्रवृत्ति के वितरण में लगभग 15 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ है।
प्रशासन ने इस घोटाले में कथित भूमिका वाले 23 पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने यह आदेश वरिष्ठ अधिकारियों की दो सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिया, जिसमें इस घोटाले के बारे में पुख्ता सबूत मिले थे।
उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आदिम जाति कल्याण विभाग को संबंधित कॉलेजों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं, जबकि इन संस्थानों से छात्रवृत्ति घोटाले की रकम वसूलने के आदेश पहले ही दे दिए गए थे।
सूत्रों ने बताया कि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक की सदस्यता वाली जांच समिति ने 23 पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को सरकारी छात्रवृत्ति के वितरण में करीब 15 करोड़ रुपए के घोटाले का पता लगाया है।
सूत्रों के मुताबिक जांच में खुलासा हुआ है कि पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों ने सरकारी अफसरों से साठगांठ करके फर्जी विद्यार्थियों के नाम से छात्रवृत्ति की रकम हड़प ली। सूत्रों ने बताया कि ऐसे विद्यार्थियों के नाम पर भी सरकारी छात्रवृत्ति का भुगतान हासिल कर लिया गया, जिनका संबंधित कॉलेजों में कभी दाखिला ही नहीं हुआ था।
इन कॉलेजों ने आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति हड़पने के लिए सरकारी महकमों को फर्जी बैंक खातों की जानकारी भी दी। लोकायुक्त पुलिस ने पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में जनवरी में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त समेत 24 लोगों के खिलाफ 10 अलग-अलग आपराधिक प्रकरण दर्ज किए थे। इन मामलों में शहर के 11 पैरामेडिकल कॉलेजों के संचालक भी आरोपी हैं। (भाषा)