भोपाल। मप्र के महिला एवं बाल विकास विभाग में 1019 संविदा महिला पर्यवेक्षक कार्यरत हैं। वर्ष सितम्बर 2007 में महिला बाल विकास विभाग द्वारा नियमित पदों के विरूद्ध म.प्र. व्यवसायिक परीक्षा मण्डल (व्यापम) के माध्यम् से संविदा महिला पर्यवेक्षकों परीक्षा ली गई थी। जिसमें मेरीट के आधार पर उत्तीर्ण होने वाली महिला अभ्यार्थी को पर्यवेक्षक के नियमित पद के विरूद्ध संविदा पर्यवेक्षक पद पर नियुक्ति दी गई थी।
इनका वेतन वर्तमान में मात्र 10000 (दस हजार) रूपये है। वहीं नियमित महिला पर्यवेक्षक का वेतन 30000 (तीस हजार) रूपये से अधिक है। नियमित पर्यवेक्षकों के कार्य के घंटे तय हैं, उनको मंहगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, वाहन भत्ता, आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश, अर्जित अवकाश, प्रदान किया जाता है। वहीं संविदा पर्यवेक्षकों को वेतन के रूप में मात्र दस हजार रूपये दिये जाते हैं तथा अवकाश के नाम पर 13 आकस्मिक अवकाश तथा 3 ऐच्छिक अवकाश प्रदान किये जाते हैं, तथा संविदा महिला पर्यवेक्षकों के काम के घंटे तय नहीं है। उनको सुबह बुलाया जाता है तथा देर रात तक काम करवाया जाता है। यदि वो इसके खिलाफ आवाज उठाती हैं तो उनको संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है।
महिला बाल विकास अंतर्गत कार्यरत संविदा महिला पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव, विभागीय मंत्री, विभाग के उच्च अधिकारियों को अनेकों बार नियमितीकरण तथा समान कार्य समान वेतन, भत्ते और सुविधाएं दिये जाने के लिए समक्ष में उपस्थित होकर मौखिक तथा लिखित निवेदन किया तथा इस सम्बन्ध में अनेकों बार शांतिपूर्ण ढंग से लोकतांत्रिक पद्वति से आंदोलन भी किये लेकिन संविदा महिला पर्यवेक्षकों के आवेदन तथा निवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
संविदा महिला पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण के आवेदन पर ध्यान देने की बजाए सरकार तथा शासन में बैठे उच्च अधिकारियों के द्वारा दिनांक 18 फरवरी 2014 को मप्र शासन की मंत्री परिषद की बैठक में एक निर्णय पारित कर महिला पर्यवेक्षकों के 3215 नियमित पदों का सृजन कर दिया दिया गया और पूर्व से नियमित पदों के विरूद्ध कार्यरत संविदा महिला पर्यवेक्षकों के लिए कहा गया कि यदि वे नियतिमीकरण चाहती हैं तो फिर से व्यापम की परीक्षा उत्तीर्ण करें और उनको अधिकतम बीस अंक बोनस के दिये जायेगें।
जबकि 6 वर्ष पूर्व इन्हीं संविदा महिला पर्यवेक्षकों को व्यापम की परीक्षा उत्तीर्ण कर संविदा महिला पर्यवेक्षक बनाया गया था । वर्तमान में संविदा महिला पर्यवेक्षक 6 वर्ष से अध्ययन की मुख्यधारा से वंचित हैं और मध्यप्रदेश शासन की महत्वकांक्षी परियोजना महिला बाल विकास में पूर्ण समर्पित होकर तनमयता से कार्य कर रही हैं। ऐसी स्थिति में परीक्षा होने पर ये संविदा महिला पर्यवेक्षक वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं अभ्यार्थियों से आगे नहीं निकल पायेंगी क्योंकि ये अध्ययन की मुख्यधारा से वंचित हो चूकिं हैं। संविदा पर्यवेक्षक की भर्ती व्यापम की परीक्षा उत्तीर्ण कर मेरीट के आधार पर इनकी नियुक्ति हुई है । इसलिए इनको अब दुबारा परीक्षा की बजाए सीधे ही नियमित किया जाना चाहिए।
यह वही बात हो जायेगी कि यदि कोई अभ्यार्थी भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा से चयनित होकर जिले का कलेक्टर बनता है उसके दस वर्ष पश्चात् यदि उन्हें सचिव या प्रमुख सचिव बनाने की बात आए तो उनसे कहा जाए कि आपको पुनः भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ेगी, नहीं तो आप उसी पद पर रहेगें, तो क्या वह कलेक्टर वर्तमान में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यार्थीयों से आगे निकल पायेगा घ् इस तरह सरकार संविदा महिला पर्यवेक्षकों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
दूसरी तरफ म.प्र. शासन की मंत्री परिषद ने दो बार गुरूजी पात्रता परीक्षा में अनुत्तीर्ण (फेल) हुये गुरूजियों को बिना किसी परीक्षा के संविदा शिक्षक बना दिया जो कि तीन वर्ष पश्चात सीधे अध्यापक बनकर नियमित, हो जायेगें (संलग्न पृष्ठ क्र. 6 - 14 म.प्र. स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश क्र. एफ - 44-6/2014/20-2 दिनांक 10.02.2014 ) । वर्ष 1995 - 1996 में मानदेय पर काम करने वाली आँगनबाड़ी कार्यकर्ता से सीधे नियमित सुपरवाईजर के पदों पर नियुक्ति कर दी गई थी, उन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की कोई परीक्षा नहीं ली गई थी । वहीं व्यापम से मेरीट के आधार पर नियमित पद के विरूद्व नियुक्त संविदा महिला पर्यवेक्षकों को नियमितीकरण के लिए फिर से व्यापम की परीक्षा देनी पड़ेगी।
ऐसी दोहरी नीति क्यों घ् इसलिए म.प्र. शासन की इस दोहरी नीति के खिलाफ समस्त संविदा महिला पर्यवेक्षक दिनांक 28 फरवरी 2014 अनिश्चित कालीन हड़ताल पर रहेंगी तथा 1 मार्च से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा चलाये जा रहे सुपोषण अभियान का बहिष्कार करेंगी । तथा जब तक संविदा महिला पर्यवेक्षकों को मंत्री परिषद में सृजत महिला पर्यवेक्षकों के पदों पर सीधे नियमित नहीं कर दिया जाता तब तक संविदा महिला पर्यवेक्षक हड़ताल करती रहेंगी । यह हड़ताल महिला एवं बाल विकास सर्व पर्यवेक्षक समिति तथा संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के संयुक्त तत्वाधान में किया जायेगा। इसकी जानकारी पत्रकार वार्ता में महिला एवं बाल विकास सर्व पर्यवेक्षक समिति की अध्यक्ष नाहिद जहां तथा म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने दी।