महेश चौहान/नई दिल्ली। दिल्ली और दूसरे शहरों में हथियार सप्लाई करने वाले मुंगेर से नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के घने जंगलों में बनकर आ रहे हैं। इस अवैध हथियारों का कारोबार पिछले 3 सालों से हो रहा है। जिसमें .32 की पिस्टल और 9 एम.एम. की पिस्टल ही नहीं 12 बोर की गन भी बनाई जा रही है, जिसको अपराधिक प्रवृत्ति के लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
ये हथियार विदेशी हथियार से बस 19 ही नजर आ रहे हैं। अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि हथियारों की मध्य प्रदेश से सप्लाई के बाद काफी हैरान है क्योंकि हथियार बनाने की फैक्टरी एक शहर से दूसरे शहर तक देखने में आ रही है। मध्यप्रदेश के खंगौर, धार, बुरहानपुर आदि के जंगलों में फैक्टरी का पता चला है। उन्होंने बताया कि जहां पर ये फैक्टरी हैं। वहां तक पहुंचना काफी मुश्किल है। कई जगह रोशनी तक नहीं पहुंचती हैं।
भिंड के गजेंद्र और मध्यप्रदेश के देवराम नामक आरोपियों से पता चला है कि हथियारों की दूसरे शहरों में भारी मांग है। इसके लिए पहले से ही एडवांस मिल जाता है। यह पैसा एक ब्रांच के रूप में मिलता है। हथियारों को पहुंचाने के लिए बस ट्रॉसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है, जिनको बेग में कपड़ों के बीच छुपाकर ग्राहक के पास पहुंचाया जाता है। आरोपियों से पता चला कि इनकी सप्लाई दिल्ली से बाहर एन.सी.आर.,यू.पी.,हरियाणा और पंजाब में काफी ज्यादा है।
पिछले 2-3 सालों में 3 सौ से ज्यादा हथियारों की सप्लाई आरोपी कर चुके है, लेकिन अभी तक वे पकड़े नहीं गए थे। पूछताछ के दौरान हैरान करने वाली बात यह कि हथियारों को बनाने वाले पहले तलवार,चाकू ही बनाते थे। ये लोग पहले खेतीबाड़ी करते थे लेकिन बाद में हिस्ट्री शीटरों के संपर्क में आने के बाद वे पिस्टल बनाने लगे, जिसके लिए बकायदा उन्होंने ट्रेनिंग तक ली।
इनके संपर्क बड़े-बड़े पॉलिटिशयनों से होने के बात सामने आयी हैं लेकिन अभी तक कुछ पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगे हैं। शाखा के अधिकारी बताते हैं कि ग्रुप हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहता है। जब मोबाइल पर बात करना चाहता है, तो उनके फोन स्वीच ऑफ बताते हैं। ग्रुप के लोग समझ जाते हैं कि सामने वाला किसी मुसीबत में फंस गया है, जिसके बाद वे अपना ठिकाना तुरंत बदल देते हैं। इसी तरह से जंगलों में माओवादी ग्रुप की तरह से आवाज निकालकर एक दूसरे को मैसेज भी भेज देते हैं।
अधिकारी बताते हैं कि .32 बोर और 9एम.एम. की पिस्टल 20 से 25 हजार और 12 बोर की गन 28 से 40 हजार रुपए में ग्रुप बेचता है, जिसमें उसकी कमीशन भी शामिल होती हैं। पुलिस को अभी धु्रव उर्फ सरदार नामक सरगना की तलाश है, जिसको दूसरे शहरों की पुलिस भी तलाश रही हैं।