भोपाल। मूलत: हॉकी खिलाड़ी और कांग्रेस के पार्टटाइम लीडर असलमशेर खान इन दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस में केजरीवाल का रोल प्ले कर रहे हैं। विधानसभा चुनावों के पहले से ही वो लगातार कांग्रेस नेताओं पर उंगलियां उठा रहे हैं और यह क्रम बदस्तूर जारी है।
गुरूवार को पत्रकारों से मुलाकात में एक बार फिर असलमशेर खान ने दोहराया कि विधानसभा चुनाव में तीसरी हार के बाद पार्टी लकवाग्रस्त हो गई है। असलम ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अब भी तीन नेताओं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के चंगुल में हैं। उन्होंने दोहराया कि कमलनाथ को जबलपुर और सिंधिया को विदिशा से चुनाव लड़ना चाहिए। इससे कार्यकर्ताओ उत्साह बढ़ेगा और पार्टी 14 सीटें तक जीत पाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष अरुण अब तीन नेताओं के चंगुल से बाहर नहीं आ पाए। उन्होंने कहा कि यदि भोपाल से पीसी शर्मा या विधायक आरिफ अकील को टिकट दिया जाता है तो यह भाजपा को वॉकओवर देने जैसे होगा।
कौन हैं असलम
असलम शेर खान की पहचान नेता से ज्यादा हॉकी खिलाड़ी की है। 1975 में कुआलांम्पुर में हुए हॉकी के विश्वकप में उन्होंने गोल दागकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। इसी के बाद से वे हीरो बनकर उभरे थे। कांग्रेस के टिकट पर 1984 में 8वीं और 1991 में 10वीं लोकसभा के लिए चुने गए और प्रधानमंत्री नरसिंहराव मंत्रिण्मडल में केंद्रीय मंत्री रहे। बीच में कांग्रेस छोड़ भाजपा और एनसीपी में शामिल हुए, लेकिन जब महत्व नहीं मिला तो 1999 में वापस कांग्रेस में लौट आए।
सवाल यह उठता है कि असलशेर खान लगातार इतना तड़प क्यों रहे हैं। वो केन्द्रीय मंत्री रहे हैं, उनकी पहुंच 10 जनपथ तक है तो वो बार बार मीडिया के सामने नेताओं को निशाने पर क्यों लेते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि असलमशेर खान को हाईकमान ने महत्व देना पूरी तरह से बंद कर दिया है और वो ये सारा का सारा ड्रामा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि कम से कम एक बार हाईकमान उन्हें चुप रहने के लिए बोल दे।
अपनेराम तो यह भी कहते हैं कि पीसीसी चीफ अरुण यादव को चाहिए कि वो हाईकमान से आग्रह करके असलमशेर खान को कोई एक जिम्मेदारी सौंप दें ताकि उनके पास भी कम से कम एक काम तो हो और वो केजरीवाल का घोस्ट रोल प्ले ना करें। जो भी कहना है पार्टी मंच पर कहें और यदि हाईकमान भी ना सुने तो एक बार फिर कांग्रेस छोड़ दें। इस बार आम आदमी पार्टी है, नया विकल्प।