भोपाल। इंदौर के अरविंदो सहित प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में ‘स्कोरर’ के जरिए सीट ब्लॉक कर एडमिशन नहीं लेने के मामले की जांच शुरू हो गई है। इस मामले में एसटीएफ ने रा'य सरकार द्वारा कॉलेज की ऑब्जर्वर बनाई गईं एमजीएम की डीन डॉ. पुष्पा वर्मा के बुधवार को बयान लिए।
एसटीएफ ने काउंसलिंग के आखिरी दो दिनों में होने वाले एडमिशन के बारे में डॉ. वर्मा से पूछताछ की है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 50 फीसदी सीटें राज्य कोटे की होती हैं, जिन्हें पीएमटी के माध्यम से भरा जाता है। पीएमटी में हुई गड़बड़ी की जांच में खुलासा हुआ है कि दूसरे राज्यों से आने वाले उम्मीदवार अच्छे अंक होने के बावजूद सरकारी के बजाय प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन ले लेते थे। ये तीन काउंसलिंग तक सीट ब्लॉक रखते थे, लेकिन बाद में एडमिशन नहीं लेते थे। बाद में ये सीट कॉलेज संचालक मैनेजमेट कोटे से भर लेते थे। इसकी पुष्टि करने के लिए एसटीएफ अब कॉलेज संचालकों से भी पूछताछ करेगी।
प्रक्रिया में हमारा आंतरिक हस्तक्षेप नहीं : डॉ. वर्मा
डॉ. वर्मा के अनुसार वे दो साल से अरविंदो कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रही थीं। एमबीबीएस की काउंसलिंग के दौरान 29 व 30 सितंबर को वे पूरे समय वहां मौजूद थीं। अंतिम काउंसलिंग में ऐन मौके पर कुछ छात्रों ने एडमिशन नहीं लिए और ये सीटें मैनेजमेंट कोटे से भरी गईं। उन्होंने बताया कि चेक लिस्ट शासन देता है। हमें वहां जाकर व्यवस्था देखना होती है। एडमिशन प्रक्रिया में आंतरिक रूप से हमारा हस्तक्षेप नहीं होता है।