भोपाल। लोकसभा में बहुप्रतीक्षित लोकपाल बिल पर मुहर लगने के बाद कांग्रेस हाईकमान मप्र में मिली करारी हार से चकित होकर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नए सिरे से जमावट करने जा रहा है।
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को बदलने का निर्णय लगभग कर लिया है और उनकी जगह केंद्रीय ऊर्जामंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार हो रहा है। लोकसभा चुनाव की कड़ी चुनौती को ध्यान में रखते हुए हाईकमान को सिंधिया ही एक ऐसा विकल्प दिखाई दे रहें हैं, जिनसे अच्छे नतीजे की उम्मीद की जा रही है।
विधानसभा चुनाव में सिंधिया को करीब दो महीने पहले चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर भेजा गया था,लेकिन वे प्रदेश भर में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित नहीं कर पाए। यह बात कई नेताओं से होते हुए हाईकमान तक पहुंची है। सिंधिया खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे,इस सूरत में प्रदेश कांगे्रस की कमान देने की चर्चा उनके समर्थकों को समझ में नहीं आ रही है।
गौरतलब है कि आदिवासी वोटरों को सहेजने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने कांतिलाल भूरिया को केंद्रीय मंत्री पद से मुक्त कर प्रदेश कांग्रेस की कमान दी थी,लेकिन पार्टी को इसका कोई लाभ नहीं मिला। इसलिए कांग्रेस हाईकमान अब ट्राइवल कार्ड दोबारा खेलने का निर्णय लेने में हिचक रहा है। पूर्व मंत्री मुकेश नायक, सत्यदेव कटारे नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में फिलहाल आगे बताए जा रहे हैं।
हालांकि वरिष्ठ विधायकों में महेंद्र सिंह कालूखेड़ा और डॉ.गोविंद सिंह का दावा भी मजबूत है। बाला बच्चन, ओमकार मरकाम, संजय पाठक और जीतू पटवारी सरीखे युवा चेहरों को लेकर भी हाईकमान की निगाह है। संभावना जताई जा रही है कि मप्र को लेकर चल रहे मंथन के नतीजे बहुत जल्द आ जाएंगे। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की राय को आलाकमान अहमियत देगा, क्योंकि उनका विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है।
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