भोपाल। बुदनी और विदिशा से चुनाव जीतने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा विधानसभा सीट छोड़ सकते हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री ने निर्णय ले लिया है और औपचारिक घोषणा शुक्रवार को होगी।
मुख्यमंत्री के इस निर्णय के बाद इस सीट पर दावेदारी को लेकर संगठन के सामने फिर चुनौती रहेगी। विधानसभा चुनाव से पहले टिकट की खींचतान को लेकर ही मुख्यमंत्री को विदिशा से भी चुनाव लड़ना पड़ा था।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री के सीट छोड़ने के बाद उनकी पत्नी साधना सिंह इस सीट से प्रबल दावेदार हो सकती हैं। यदि वे चुनाव लड़ने से मना करती हैं, तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की करीबी और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री सुखप्रीत कौर या फिर मुख्यमंत्री के नजदीकी मुकेश टंडन को यहां से मौका दिया जा सकता है।
इधर, विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार विधानसभा गठन के नोटिफिकेशन जारी होने के १क् दिनों तक दो जगह से विधानसभा चुनाव जीते व्यक्ति को एक सीट छोड़कर विधानसभा को अवगत कराना पड़ता है। चुनाव परिणाम आने के तत्काल बाद जिस तरह मुख्यमंत्री ने विदिशा के विकास के लिए घोषणाएं की और बुधवार को आला अधिकारियों के साथ वहां बैठक ली, उससे संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री विदिशा सीट छोड़ देंगे।
विदिशा को लेकर यह है दुविधा
शिवराज द्वारा विदिशा सीट खाली करने पर सबसे अधिक कठिनाई उम्मीदवारी को लेकर होगी। पूर्व वित्तमंत्री राघवजी मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने पर मान गए थे, मगर किसी और को टिकट देने का विरोध कर सकते हैं, क्योंकि वे अपनी बेटी को यहां से लड़वाना चाहते हैं। यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा क्षेत्र भी है और मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में इस सीट को खाली करना यहां से सांसद सुषमा स्वराज के लिए या फिर अन्य उम्मीदवार के लिए कठिन हो सकता है। चूंकि पहले विदिशा जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन इस बार दो सीटें कांग्रेस के पास आ गई है।
विदिशा और बुदनी से है गहरा रिश्ता
मुख्यमंत्री का विदिशा और बुदनी विधानसभा से गहरा रिश्ता है। विदिशा की जनता ने उन्हें 5 बार सांसद बनाकर दिल्ली भेजा तो बुदनी वासियों ने 4 बार विधायक बनाकर क्षेत्र की कमान उन्हें सौंपी।