विंध्याचल अग्निकांड: टारगेट पर 400 करोड़ का कम्प्यूटर खरीदी घोटाला

भोपाल। विंध्याचल भवन स्थित पंचायत एवं ग्रामीण विकास मुख्यालय का अग्निकांड, अफसर क्या जांच एजेंसियों के हलक से भी नहीं उतर रहा। दूसरी तरफ संबंधित विभाग की हाल ही में एसटीएफ को हुई एक गोपनीय शिकायत ने इस अग्निकांड को संदेहास्पद बना दिया है।

विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो न्यायालय में चल रहे विभागीय मामलों और जांच एजेंसियों में हुई बड़े घोटालों की शिकायतों को ध्यान में रखकर इस अग्निकांड से जुड़े बिंदुओं पर पड़ताल की जा रही है। इसी बीच विभाग से संबंधित 400 करोड़ की एक खरीदी को लेकर हाल में हुई शिकायत इस घटना के साजिश होने का इशारा नजर आ रहा है।

सूत्रों की मानें तो वर्ष 2012-13 के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से प्रदेशभर की ग्राम पंचायतों के लिए 22000 कंप्यूटर और 22000 लेपटॉप खरीदी को लेकर 400 करोड़ का आर्डर निजी कंपनियों को दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि इस अग्निकांड से ठीक 20 दिन पहले स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का एक गोपनीय शिकायत मिली थी।

क्या है खरीदी
2012-13 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास ने प्रदेश की ग्राम पंचायतों के लिए 22000 कंप्यूटर खरीदी और 22000 लेपटॉप खरीदी की योजना बनीं। जिसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए 1 लाख 4 हजार का बजट मंजूर किया गया। जिसमें हर पंचायत को एक कंप्यूटर, एलडी टीवी, प्रिंटर, कैमरा समेत आठ मदें दी जानी थी। विभाग द्वारा टेंडर जारी कर लघु उद्योग निगम के जरिए 22000 कंप्यूटर सहित 8 आइटम की सप्लाई का टेंडर निजी कंपनी को दिया गया था। जबकि एमपीएसईडीसी के जरिए 22000 लैपटाप की सप्लाई निजी कंपनी को सौंपी थी।

कहां गड़बड़ी
टेंडर को लेकर नरेगा की तरफ से दिए गए स्पेसिफिकेशन में सॉफ उल्लेख था कि कंप्यूटर के साफ्टवेयर में सैलरॉन सिग्नल प्रोसेसर के बदले ड्यूलकोर प्रोसेसर इंटल प्लेटिनम दिया जाएगा। टेंडर मिलने के बाद सप्लायर कंपनी ने टेंडर शर्तों के शब्दों में फेरबदल करते हुए यह कहा कि प्लेटिनम डुअल प्रोसेसर देंगे यह नहीं कहा था, टुअल प्रोसेर देने को कहा था। जिसके बाद कंपनी प्लेटिनम डुअल प्रोसेसर के बदले सैल रॉन डुव्लल प्रोसेसर के साथ 10 हजार कंप्यूटरों की सप्लाई कर दी। जिससे प्रत्येक कंप्यूटर की सप्लाई में 8 हजार रुपए का फर्क आ गया।

फ्री के साफ्टवेयर, 17 हजार का भुगतान
सूत्र बताते हैं कि टेंडर में शामिल ज्यादातर कंपनियां अपने कंप्यूटर के साथ ढेरों साफ्टवेयर अपलोड कर फ्री में दिए जाने की बात कह रहे थे। इन्हीं साफ्टवेयरों के लिए विभाग ने सप्लायर कंपनी को बकायदा 17 हजार रुपए तक का भुगतान किया। ऐसे में टेंडर से अछुती कंपनियों इसकी शिकायतें दर्ज कराई, विरोध के चलते जिला स्तर पर सप्लाई रोक लगा दी गई।

राजस्थान ने खरीदे थे सॉफ्टवेयर
टेंडर से अछूती कंपनियों का यह भी तर्क था कि राजस्थान में हाल ही में हुई कंप्यूटर खरीदी के दौरान भी यह साफ्टवेयर महज ढाई हजार रुपए में खरीदे गए थे। सरकार चाहती, तो राजस्थान सरकार से खरीदी पर चर्चा कर रेट ले सकती थी। मनमाने तरीके से मिलीभगत कर विभाग ने इन साफ्टवेयरों के बदले प्रत्येक कंप्यूटर पर 17 हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया।

30 करोड़ का ट्रेनिंग फंड पर डुबाया
सूत्र बतातें है कि विभाग के पास 30 करोड़ का ट्रेनिंग फंड पर था। कंप्यूटर सप्लाई के साथ कंपनी ने विभाग के सामने 10-10 कर्मचारियों का निशुल्क ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव दिया। जिसमें गोलमाल कर विभाग का 30 करोड़ रुपए का आवंटित ट्रेनिंग फंड का भी इस्तेमाल कर लिया।
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