मिलने थे 30 दिए 15 नंबर, हाईकोर्ट ने सुनाई माशिमं को सजा

इंदौर। होनहार छात्रा अंजलि यादव। 10वीं में पांच विषयों में विशेष योग्यता। 12वीं में केमिस्ट्री को छोड़ सभी विषयों में प्रथम श्रेणी के अंक। केमिस्ट्री में 75 में से केवल 15 अंक। सप्लीमेंट्री आ गई। छात्रा को भरोसा नहीं हुआ। हाई कोर्ट पहुंच गई।

जज ने माध्यमिक शिक्षा मंडल के अफसर को तलब किया। कोर्ट के आदेश पर विषय विशेषज्ञों ने कॉपी फिर से जांची। 15 नंबर और बढ़ गए। अब 75 में से 30 अंक हो गए। कोर्ट ने लापरवाही करने वालों से 50 हजार रुपए मुआवजा छात्रा को दिलाने के आदेश दिए।  

अंजलि ने उज्जैन जिले के उन्हेल से बारहवीं की परीक्षा दी थी। केमिस्ट्री में 15 नंबर आने पर अंजलि ने मंडल में आवेदन देकर नंबरों की गणना दोबारा करवाई लेकिन कोई अंतर नहीं आया। अंजलि ने हार नहीं मानी। कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। परिवार ने भी पूरा साथ दिया। हाल ही में सुनवाई के दौरान मंडल ने कोर्ट को बताया कि दोबारा कापी जंचवाने पर छात्रा के 15 नंबर बढ़े हैं। इसके बाद कोर्ट ने कापी जांचने में लापरवाही करने पर जुर्माने का आदेश दिया।

सौ से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में
प्रदेशभर के करीब सौ छात्रों ने मूल्यांकन में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका लगाई।  पिछले वर्ष करीब 26 हजार से ज्यादा आवेदन दोबारा गणना के आए थे। इस बार शासन ने इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम किया है।

संख्या के डर से नहीं होता पुनर्मूल्यांकन
मंडल के वरिष्ठ अफसरों के मुताबिक मध्यप्रदेश समेत किसी भी राज्य में पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था नहीं है। फिर से कॉपी इसलिए नहीं जांची जाती कि शिक्षा मंडल को डर रहता है कि हजारों की संख्या में छात्र आवेदन करेंगे।

हमेशा टॉप पर रही
अंजलि ने कहा- मैं स्कूल में हमेशा टॉप पर रही। 10वीं में संस्कृत, हिंदी, सोशल साइंस, साइंस और गणित विषय में विशेष योग्यता मिली। 12वीं में फिजिक्स में 80, गणित में 67, हिंदी में 73, अंग्रेजी में 64 और वायवा में 25 में से 23 अंक मिले थे। केमिस्ट्री में 15 नंबर देख होश उड़ गए। बहुत रोई। रसायन के पेपर में पूछे प्रश्न और मेरे उत्तर एक सेकंड में रिकॉल हो गए। ऐसे में पिता आरपी यादव, भाई अजय ने हिम्मत बंधाई। मैंने कोर्ट में गुहार लगाने की बात कही तो सभी ने एक बार में हां कर दी। बिना समय गवाएं याचिका लगाई गई। कोर्ट के फैसले के बाद अब खुश हूं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करूंगी।  

जस्टिस मोदी ने कहा- वह आत्महत्या कर लेती तो...
15 नंबर मिलने पर छात्रा ने सबसे पहले आरटीआई के तहत अपनी कॉपी मांगी। मंडल ने रसायन के बजाय अंग्रेजी की कॉपी भेज दी। छात्रा ने यह लापरवाही जस्टिस एनके मोदी को बताई तो उन्होंने सचिव पुष्पलता सिंह को तलब किया। जज ने टिप्पणी की थी कि ऐसी लापरवाही में अगर छात्रा आत्महत्या कर लेती तो इसका जिम्मेदार कौन होता।

सिर्फ एक सवाल
अंजलि तो साहस कर कोर्ट चली गई, लेकिन ऐसा कई विद्यार्थियों के साथ होता है। पुनमरूल्यांकन का प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें आखिर कैसे न्याय मिलेगा?


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