चिट्ठी से निकला 16 साल पुराने शिक्षक भर्ती घोटाले का जिन्न, तीन IAS परेशान

भोपाल। अविभाजित मप्र में करीब 16 साल पहले हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में एक अधिकारी की चिट्ठी ने मप्र कैडर के तीन वरिष्ठ आईएएस अफसरों की नींद उड़ा दी है। इस घोटाले के बाद आईएएस लॉबी में खलबली मच गई है।

मप्र के बस्तर (अब छत्तीसगढ़) जिले में जनवरी, 1998 में शिक्षकों की भर्ती में हुए भारी भ्रष्टाचार पर एंटी करप्शन ब्यूरो, छग ने अशोक वर्णवाल, पल्लवी जैन गोविल, मनोज गोविल सहित संजय वाष्ण्रेय को मुख्य आरोपी बनाया था। बावजूद इसके तीनों आईएएस अफसर अपने रसूख का इस्तेमाल कर साफ बच गए।

अब भी तीनों अफसरों पर कार्रवाई की फाइल सामान्य प्रशासन विभाग में धूल खा रही है। एंटी करप्शन ब्यूरो, छग ने तीनों के अलावा कई अधिकारियों पर आपराधिक प्ररकण दर्ज किए थे, लेकिन छोटे अधिकारियों को ही सजा मिल पाई है। इधर, संजय वाष्ण्रेय के खिलाफ कार्रवाई के लिए जैसे ही अभियोजन की मंजूरी मिली तो वे तिलमिला गए और खुद के बचाव के लिए कोर्ट की शरण ले ली।

संजय ने मप्र शासन को भी चिट्ठियां लिखीं कि भर्ती घोटाले में वे अकेले आरोपी नहीं हैं, बल्कि आईएएस अफसर अशोक वर्णवाल, पल्लवी जैन गोविल और मनोज गोविल भी बराबर के आरोपी हैं, लेकिन उन्हें बचाया जा रहा है। संजय तो अपना बचाव कर रहे हैं, लेकिन उनकी लिखा-पढ़ी से आईएएस महकमे में खलबली मची हुई है।

गौरतलब है कि एंटी करप्शन ब्यूरो छग ने शुरुआत में तीनों वरिष्ठ अफसरों पर कई आरोप लगाए थे, लेकिन उन्हें बचा लिया गया। इसी बीच संजय का कहना है कि तीनों अफसरों को बचाकर सिर्फ उन्हें ही फंसाया जा रहा है। इससे न सिर्फ तीनों अफसरों को पसीना आ रहा है, बल्कि वल्लभ भवन से लेकर दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय तक में खलबली मची हुई है।

जांच में नहीं आई आंच
शिक्षक भर्ती घोटाले में लिप्त रहे मनोज गोविल केंद्र के आर्थिक कार्य मंत्रालय में और उनकी पत्नी पल्लवी जैन गोविल प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली में पदस्थ हैं। जबकि अशोक वर्णवाल मप्र में सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो, छग ने तीनों को जिम्मेदार माना। मगर मप्र सरकार से इनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली। तीनों उस समय अलग-अलग समयावधि में सीईओ जिपं रहे हैं। संजय वाष्ण्रेय सहा. आयुक्त आदिवासी विकास, जगदलपुर थे।

मेरा कोई दोष नहीं है
मेरा इस केस में इन्वॉल्वमेंट ही नहीं है, इसलिए मैंने कहा है कि मुझे दोषमुक्त किया जाए। मैंने सदस्य सचिव का काम ही नहीं किया, फिर भी मुझे दोषी बनाया जा रहा है। मुझे सुप्रीम कोर्ट से भी स्टे इसीलिए मिला है कि मैं जिम्मेदार नहीं हूं। मैं अपने बारे में कह सकता हूं, बाकी अन्य के बारे में नहीं।
संजय वाष्ण्रेय,
अपर संचाललक आदिम जाति कल्याण विभाग

सारे आरोप हटा दिए
जब आदमी फंसता है तो वह किसी पर कुछ भी आरोप लगाने लगता है। मप्र शासन ने भी हम पर लगाए आरोपों को निराधार बताया है। एंटी करप्शन ब्यूरो छग ने भी बाद में सारे आरोप हटा दिए।
अशोक वर्णवाल,
तत्कालीन सीईओ, जिला पंचायत
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