बिजली अधिकारी लघुउद्योगों को खत्म करने पर उतारू

डबरा। एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्योगों के बढ़ावे के लिये प्रयासरत हैं, वहीं बिजली अधिकारी अपने स्वार्थ पूरे न हो पाने के कारण व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिये पावर उपभोक्ताओं को लंबे समय से परेशान कर रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण हाल ही में मनमाने ढंग से बिल बनाकर भेजने का मामला सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार पावर उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग, मौडम से होती थी एवं हर माह पावर उपभोक्ता बिल जमा करते थे, इस बीच विभाग द्वारा मेन्युअल रीडिंग भी ली जाती रही। दोनों रीडिंगों के बीच हजारों यूनिट का अंतर था, पावर उपभोक्ताओं ने स्थानीय उपमहाप्रबंधक एवं सहायक यंत्री को इस बारे में जानकारी देकर मौडम को रीसेट करने को कहा, लेकिन अधिकारियों ने नहीं सुनीं। 

इस माह पावर के बिलों की रीडिंग मौडम से न लेके, बढ़े हुये यूनिट को खपत दिखाकर मनमाने ढंग से बिल बनाकर भेज दिये। पावर उपभोक्ताओं में हाहाकार मचा हुआ है। पावर उपभोक्ताओं का कहना है कि जब मौडम से रीडिंग आ रही थी, तो मेन्युअल में फर्क रखकर जानबूझकर उद्योगों को खत्म करने के लिये स्थानीय बिजली अधिकारी मुख्यमंत्री की मंशा के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। पावर उपभोक्ताओं ने बिलों में सुधार की मांग करते हुये, मनमानी करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की। 

इससे पूर्व भी कई पावर उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत खुन्नस निकालने हेतु बिजली चोरी के झूठे प्रकरण मीटर सही होने के बाद भी एक तरफा जांच कर बना दिये हैं, जिससे पावर उपभोक्ता मानसिक, आर्थिक परेशानी से एवं कोर्ट, कचहरी के चक्करों में उलझे हुये हैं। प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री एवं सी.एम.डी. विद्युत विभाग तथा महाप्रबंधक से व्यवस्था में सुधार एवं दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग पावर उपभोक्ताओं ने की है।


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