भोपाल। कांग्रेस अपने विधानसभा उम्मीदवारों को प्रचार के लिए करीब तीन सप्ताह का समय देगी। उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए पार्टी ने हर प्रक्रिया की समय सीमा तय कर दी है।
टिकिट वितरण के दौरान जहां बीएसपी कांग्रेस का फार्मूला यूज करेगी वहीं कांग्रेस बीएसपी के पेटर्न पर टिकिट बांटंगी। पार्टी यहां ओबीसी, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को प्राथमिकता देगी।
जानकारी के अनुसार आलाकमान ने मप्र की स्क्रीनिंग कमेटी से पांच अक्टूबर तक पैनल को अंतिम रूप देने को कहा है। यही वजह है कि पार्टी के सभी नेता एक अक्टूबर की शाम तक दिल्ली पहुंच जाएंगे। इसके एक दिन पहले यानी सोमवार को बैतूल, रायसेन और जबलपुर की रैलियों के बाद सभी वरिष्ठ नेता रात में एक साथ जबलपुर पहुंचे।
समझा जाता है कि इन नेताओं के बीच दावेदारों को लेकर नेताओं के बीच अनौपचारिक चर्चा हो गई है। मंगलवार को डिंडोरी, देवसर (सिंगरौली) और रीवा में पार्टी की रैली के बाद सभी नेता दिल्ली रवाना हो जाएंगे। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक को देखते हुए दो और तीन अक्टूबर को पार्टी की कोई सभा नहीं रखी गई है। तीन अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने चुनाव से जुड़ी सभी समितियों के अध्यक्षों की बैठक भी बुलाई है।
राहुल की टीम कराएगी एनालिसिस
तीन अक्टूबर को संभावित स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद हर सीट पर अधिकतम तीन नामों का पैनल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद राहुल की टीम एक निजी एजेंसी से हर दावेदार का एनालिसिस कराएगी। इसके आधार पर पैनल में शामिल दावेदारों का क्रम तय होगा। सबसे अंत में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी उम्मीदवार के नाम तय करेगी। यह प्रक्रिया अक्टूबर के अंत तक पूरी हो पाएगी।
उप्र से ली सीख
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार उप्र में करीब सौ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा तीन महीने पहले करने से पार्टी को लाभ की बजाय नुकसान हो गया। तीन महीने तक प्रचार की गति बनाए रखना राजनीतिक रूप से संभव नहीं था, इसलिए यह फॉमरूला इस बार मप्र में अपनाया जाएगा।
आदिवासी, दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक पर जोर
कांग्रेस ने कर्नाटक में जातिगत समीकरणों के अध्ययन के बाद वहां अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलित उम्मीदवारों पर दांव लगाया गया था। मप्र में आदिवासी, दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग पर कांग्रेस का जोर रहेगा।