Credai Bhopal का आवास मेला सुपर फ्लॉप, मात्र 5 प्रतिशत प्रापॅटी बुक हुई, बिक्री 00

भोपाल। Credai Bhopal के बैनरतले आयोजित किए गए 4 दिवसीय आवास मेले में तमाम अफवाहों का सहारा लेने के बावजूद प्रॉपर्टी की बिक्री नहीं हो पाईं। महज 100 से 500 रुपए टोकन अमाउंट लेकर बुकिंग की गईं परंतु वो भी मेले में मौजूद कुल प्रॉपर्टी का 5 प्रतिशत पूरा नहीं कर पाए।

Credai Bhopal के बेनर तले पितृपक्ष के दौरान आयोजित किया गया यह मेला शुरूआत से ही झमेलों में फंसा रहा और पहली बार ऐसा हुआ कि आयोजकों के बीच चल रही राजनीति ने पूरे के पूरे मेले को ही मिटा डाला। Credai का नाम बदनाम हुआ सो अलग।

Credai Bhopal के बैनर तले आयोजित इस आवास मेले को मध्यभारत का सबसे बड़ा आवास मेला करार दिया गया। कुल 50 कंपनियां और 150 से ज्यादा प्रॉजेक्ट और 75000 से ज्यादा प्रॉपर्टी के साथ लगे इस मेले में मात्र 3000 बुकिंग्स हुईं हैं। यह वहां मौजूद कुल प्रॉपर्टी का 5 प्रतिशत भी नहीं है बावजूद इसके मेले के आयोजक खुश हैं, उत्साहित हैं और बयान जारी करके धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं।

Credai Bhopal ने आज दैनिक भास्कर में फिर अपनी नाकामी को अपनी सफलता के रूप में पेश किया है। 75000 में से मात्र 3000 बुकिंग पर मुंहछिपाने के बजाए जश्न मनाया जा रहा है। समाचार को कुछ इस तरह से पेश किया गया मानो इससे ज्यादा बड़ी सफलता मिल ही नहीं सकती थी। आप खुद पढ़ लीजिए ये खबर


ये बुकिंग है बिक्री नहीं है

इस मेले में जो 5 प्रतिशत प्रॉपर्टी बुक हुईं हैं वो भी मात्र बुकिंग ही हैं जो लोगों ने 100 से 500 रुपए देकर करवा लीं हैं। इसमें से काफी सारी बुकिंग्स तो उन मीडिया संस्थानों की ओर से करवाईं गईं फर्जी बुकिंग्स हैं जो रेस्पांस के नाम पर करवाईं गईं। स्वभाविक है ऐसी सभी फर्जी बुकिंग्स कैंसल हो जाने वाली हैं, कंपनियों के हाथ में रह जाएंगा तो बस वो 100 या 500 का नोट जो बुकिंग के समय जमा कराया गया था।

क्यों हुआ फ्लॉप

Credai जैसे प्रतिष्ठित और देश के सबसे बड़े संगठन का मेला आखिर फ्लॉप कैसे हो गया, यह सवाल उन तमाम लोगों को परेशान कर सकता है जो Credai को ठीक प्रकार से जानते हैं। इस आवास मेले के फ्लॉप होने के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण उपलब्ध रहा और वो था Credai Bhopal के पदाधिकारियों के बीच चल रही खींचतान। करोड़पति कारोबारियों के बीच चल रही यही पॉलिटिक्स पूरे के पूरे आयोजन को बर्बाद कर गई और इसका शिकार हुईं वो कंपनियां जो ना तो इस खेमे का हिस्सा थीं और ना ही उस गुट में। वो तो बस Credai के नाम पर जुड़ी हुईं हैं।

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