भोपाल। मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में सर्वशिक्षा अभियान का जिला परियोजना समन्वयक खुद को शायद एसपी समझते हैं, इसलिए अपने स्कूल के प्राचार्यों को कुछ इस तरह फरमान सुना रहे हैं जैसे थानेदारों को सुनाए जाते हैं।
डीपीसी ने स्कूल में कार्य करने वाले संस्था प्रधान, जनशिक्षक एवं शिक्षको के नाम व मोबाईल नंबर शाला की बाहरी दिवार पर लिखवाना अनिवार्य कर दिया है। मध्यप्रदेश शासन के तमाम विभागों में केवल पुलिस विभाग ही है जहां इस तरह के आदेश का पालन हो रहा है और थाने की दीवारों पर थानेदार का नंबर लिखा होता है।
इस तरह का आदेश जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केन्द्र शाजापुर द्वारा राज्य शिक्षा केन्द्र एवं वरिष्ठ अधिकारियो के निर्देश का हवाला देते हुए दिनांक 27 सितंबर को पत्र क्रमांक 1983 पालन करने हेतु पूरे जिले के विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक जनपद शिक्षा केन्द्र को भेजे गए है।
इसके बाद ही शुरू हो गई है इस आदेश के उचित—अनुचित के बीच बहस।
क्या कहते है जवाबदार
►संस्था प्रधान, जनशिक्षक एवं शिक्षको के मोबाईल नंबर शालाओ की दीवारों पर एकेडमिक प्लान के तहत लिखवाने के आदेश दिए गए है इसका उद्देश्य स्कूलो के नहीं खुलने पर ग्रामिण संबंधित शिक्षको से स्कुल नहीं खुलने के बार में पूछ सकें।
अक्षय सिंह राठौर, जिला परियोजना समन्वयक शाजापुर
►औचित्यहीन निर्णय है इससे साईबर क्राईम बड़ सकते है साथ ही इस निर्णय से महिला शिक्षिकाओ में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है.
दीपक पुरोहित, प्रदेश मंत्री म.प्र. राज्य कर्मचारी संघ
►जिला शिक्षा केन्द्र से संस्था प्रधान, जनशिक्षक एवं शिक्षको के मोबाईल नंबर शालाओ की दिवारो लिखवाने का आदेश प्राप्त हुआ है जिसके पालन में सभी शालाओ को निर्देश जारी कर दिए गए है.
मोड़ सिंह भिलाला, बीआरसी सुसनेर
हमारा सवाल:—
सर्वशिक्षा अभियान के समन्वयक को यह अधिकार दिया किसने कि वो ऐसा कोई आदेश जारी करे। किस बायलॉज में, किस निर्देशिका में सर्वशिक्षा विभाग के अस्थाई अधिकारियों को स्कूलों में कार्यरत स्थाई कर्मचारियों पर चाबुक चलाने का अधिकार सौंपा गया है। हमारा दावा है कि यह आदेश पूरी तरह से अवैध है, एवं पद के दुरुपयोग का प्रकरण है जो संज्ञान में लिया जाना चाहिए।