पीएमटी घोटाला: टेंशन में त्रिवेदी के पॉलिटिकल गॉडफादर

भोपाल| मध्य प्रदेश प्री मेडीकल टेस्ट (पीएमटी) में हुए फर्जीवाड़े की आंच अब सफेदपोशों पर आने के आसार बनने लगे हैं। सत्ता में रसूख रखने वाले व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी की गिरफ्तारी से उन लोगों की नींद उड़ गई है, जिनकी त्रिवेदी को सरपरस्ती रही है।

राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली पीएमटी परीक्षा में बड़े पैमाने पर मुन्नाभाइयों का खुलासा होने के बाद से गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी व्यापमं के पूर्व परीक्षा नियंत्रक त्रिवेदी की है। पीएमटी फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद त्रिवेदी को परीक्षा नियंत्रक के पद से हटाया गया था।

पीएमटी के फर्जीवाड़े का खुलासा जगदीश सागर की गिरफ्तारी के बाद हुआ। सागर अब तक चिकित्सा महाविद्यालय में सैकड़ों छात्रों को दाखिला दिला चुका है। इसके लिए वह प्रतिभागियों से 50 लाख रुपये की कीमत लेता था। वह विभिन्न राज्यों के छात्रों को लाकर वास्तविक परीक्षार्थी के बदले परीक्षा दिलाता था। इसके लिए उसने इंदौर में एक प्रशिक्षण केंद्र बना रखा था, जिसमें मुन्नाभाइयों को प्रशिक्षण दिया जाता था।

सागर के इस काम में व्यापमं का भी पूरा साथ मिलता था। परीक्षा केंद्र पर सागर की योजना के मुताबिक परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था की जाती थी। सागर का साथ देने के आरोप में व्यापमं के प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महेंद्रा व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट अजय सेन और एक अन्य अधिकारी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पीएमटी फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद से ही व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक त्रिवेदी पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका आरोप था कि व्यापमं की परीक्षा में पदों की बोली लगती है, लिहाजा त्रिवेदी पर कार्यवाही होनी चाहिए।

वर्तमान में पीएमटी फर्जीवाड़ा मामला की जांच स्पेशल टास्क फोर्स कर रहा है, और उसने पूर्व परीक्षा नियंत्रक त्रिवेदी को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि त्रिवेदी अपने को पूरी तरह बेकसूर बता रहे हैं।

यहां आपको बता दें कि त्रिवेदी इंदौर के एक महाविद्यालय में व्याख्याता के पद पर थे और अपने राजनीतिक पहुंच के चलते ही व्यापमं के महत्वपूर्ण पद तक पहुंचे। त्रिवेदी की सत्ता के गलियारे में पहुंच है और अब तक उनकी गिरफ्तारी न होने की वजह भी यही मानी जाती रही है।


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