राकेश दुबे@प्रतिदिन। भीड़ भरी रैली। आक्रमक भाषण और पद की अदलाबदली से यह साबित नहीं होता की भाजपा 272+ के पास पहुंच रही है| चुनाव प्रचार प्रमुख की कमान भले ही नरेंद्र मोदी की जगह राजनाथ सिंह के पास आ गई हो, लेकिन परिदृश्य में बहुत कुछ नहीं बदला है|
दक्षिण में कार्यकर्ता जोश में था, परन्तु अब उसका जोश ठंडा हो रहा है| नरेंद्र मोदी सारे देश में तो जागरण नहीं कर पाएंगे और राजनाथ सिंह भी कितना करेंगे| जब तक की आज लिए गये निर्णय की ओर आशा से देख रहे बड़े नेता दिल्ली नहीं छोड़ेंगे, परिदृश्य गर्म होने के स्थान पर नरम होने के ज्यादा संकेत दीखते हैं|
नरेंद्र मोदी को प्रचार प्रमुख के दायित्व से मुक्त करने और उनकी जगह नये व्यक्ति की तलाश को लेकर भाजपा और संघ में पिछले कई दिनों से विचार विमर्श जारी था| इस पद के लिए नितिन गडकरी अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के बाद राजनाथ सिंह का नाम लिया जाता था| भाजपा में अडवाणी समर्थक खेमा अरुण जेटली या सुषमा स्वराज को इस पद पर संतुलन की दृष्टि से देखना चाहता था| संघ की पहली पसंद नितिन गडकरी और दूसरी पसंद उमा भारती थी|
नरेंद्र मोदी यहाँ भी अपनी पसंद संघ से मनवाने में कामयाब रहे हैं| राजनाथ सिंह के इस नये दायित्व से अडवाणी को एक और झटका लगा है| वे राजनाथ सिंह की कार्यप्रणाली से लिखित में असंतोष व्यक्त कर चुके हैं| अब निर्णय के नतीजे का अनुमान भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर और निष्पक्ष प्रेक्षक लगा रहे हैं , परन्तु किसी का भी बैरोमीटर अभी 170 से उपर नहीं जा रहा है| 272+ काफी दूर है|