मेडीकल सर्विसेज में फेलियर के लिए नार्म्स और एनवायरमेंट रेस्पांसिबल: डॉ मालती

shailendra gupta
Dr. Malti Bhojwani Bhopal
आकांक्षा श्रीवास्तवा/भोपाल। विश्वस्तनपान सप्ताह के अवसर पर भोपाल की मशहूर गायनिक एवं मालती हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ मालती भोजवानी से बातचीत में उनके पर्सनल एवं प्रोफेशनल लाइफ के कुछ पहलुओं को जानने की कोशिश की। भोपाल की इस प्रख्यात गायनिक के विषय में यह जानकर लोगों को आश्चर्य होगा कि मेडीकल सर्विसेज उनका टारगेट नहीं था वो तो वकील या मजिस्ट्रेट बनना चाहतीं थीं परंतु अपने पापा के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने मेडीकल की पढ़ाई की और ना केवल पढ़ाई की बल्कि एक प्रख्यात डॉक्टर भी बनीं।

गुजरात के वड़ोदरा में जन्मीं डॉक्टर मालती की एज्यूकेशन गुजरात में ही हुई। उन्होंने एमएस यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया एवं ब्याह के बाद मध्यप्रदेश में आ गईं। भोपाल में आई गुजरात की यह बेटी पिछले 34 वर्षों से लगातार मरीजों की देखभाल कर रहीं हैं, इस दौरान कितने ही ऐसे अवसर आए जब इन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ को भूलकर मरीजों की देखभाल की।

इसलिए किया रिजाइन

डॉक्टर मालती बतातीं हैं कि मेडीकल सर्विस के दौरान 20 साल उन्होंने सरकारी जॉब के साथ गुजारे परंतु वहां दिखाई दिया कि परफार्मेंस से ज्यादा पॉलिटिक्स जरूरी है तो जॉब से रिजाइन कर दिया। इसके बाद खुद का अस्पताल शुरू किया। डॉ भोजवानी बतातीं हैं कि यह बिल्कुल भी आसान नहीं था, बड़ी चुनौती थी, पहली बार पता चला कि एक अस्पताल में मरीजों का इलाज करने के अलावा भी कितने काम होते हैं, लेकिन हर चुनौती को स्वीकार किया और मरीजों के अच्छे इलाज को टारगेट करके बिना थके जुटे रहे।

प्रॉब्लम्स

डॉक्टर मालती बतातीं हैं कि यहां पर मेडीकल सर्विस के लिए एनवायरमेंट स्टेंडराइज्ड नहीं है, प्रेक्टिस नॉम्र्स सही नहीं हैं, अलर्टनेस नहीं है, कंज्यूमरिज्म है और इन्हीं परेशानियों से हर डॉक्टर को दो चार होना पड़ रहा है।

टारगेट्स

डॉक्टर मालती का चाहतीं हैं कि वो महिलाओं के लिए एक चैरिटेबल हॉस्पिटल की शुरूआत करें एवं महिलाओं की एज्यूकेशन के लिए भी कुछ कर सकें। उनका मानना है कि महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं और इसके लिए माहौल तैयार करना जरूरी हो गया है। उनका आरोप है कि मेडीकल सर्विसेज को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती, कोई रिबेट नहीं है और अंतत: इसका नुक्सान मरीजों को भी उठाना पड़ता है।

अचीवमेंट्स

उन्होंने बताया कि मैने कभी गिनती नहीं की लेकिर कोई 1 लाख से ज्यादा महिलाओं का इलाज कर चुकी हूं। उन्होंने बताया कि मेरे जीवन में एक मरीज को में कभी नहीं भूल पाउंगी। वो गर्भवती थी और मौत के मुहाने तक पहुंच चुकी थी, ब्लडप्रेशर नहीं आ रहा था और यूट्रस की पोजीशन बदल गई थी। ये एक हाईरिस्क प्रेगनेंसी का केस था लेकिन अंतत: वो ऑपरेशन सफल रहा। मॉं और बच्चा दोनों की जान बचा ली गई। ये चेलेंज मैं कभी नहीं भूल पाउंगी।

ओपीनियन

लिंग परीक्षण एवं भू्रण हत्या के मामले में उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से इसके सख्त खिलाफ हूं और ये दावा कर सकतीं हूं कि न्यू भोपाल में ऐसा नही किया जाता। यह काम सिर्फ वही लोग कराते हैं जो मानसिक तौर पर बीमार होते हैं और वही डॉक्टर इसमें मददगार होते हैं जिनके पास मरीज नहीं होते। उन्होंने आगे बताया कि लिंग परीक्षण की शुरूआत जनसंख्या को नियंत्रित करने के अभियान के दौरान हुई थी परंतु कुछ डॉक्टर्स ने इसका मिसयूज किया और आज यह समाज की परेशानी बन गया है।

स्पेशलिटी

मालती हॉस्पिटल की विशेषताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि यह एक पेशेंट फ्रेंडली हॉस्पिटल है, यहां सिर्फ हाईरिस्क एवं कॉम्प्लिकेटेड केसेज ही आते हैं और इस हॉस्पिटल का स्टाफ हर चुनौती का सामना करने के लिए 24 घंटे तैयार रहता है।

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