भोपाल। ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए सरकारी महकमे कितनी चौकसी बरत रहे हैं, तो यह उसकी बानगी है। नवाबी शासनकाल में एजुकेशन हब बतौर बना बेनजीर मदरसा (बेनजीर कॉलेज) भैंसों का तबेला और सटोरियों-जुआरियों के साथ ही अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बन कर रह गया है।
वह भी तब, जब पूरा भोपाल नो-कैटल जोन घोषित हुए सालों बीत चुके हैं और बेनजीर इमारत सहित परिसर को पुरातत्व संरक्षित घोषित किया जा चुका है। बेनजीर मदरसा अब चोर, उचक्कों, सटोरियों और अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बन गया है। यहां दिन हो या रात दस-पंद्रह फुरसतिए गोलबंद नशा करते हुए जमे रहते हैं।
स्टेट बैंक भवन और बीएसएनएल बिल्डिंग के बीच वाले रास्ते से होते हुए बेनजीर गेट के दोनों ओर बने कमरों में असामाजिक तत्वों ने सालों से अवैध कब्जा कर रखा है। कब्जा करने के लिए बेनजीर के बांयी ओर के तीन कमरों के बाहर दरवाजों पर प्लास्टिक की पन्नियां बांध दी गईं हैं।
इसी तरह से दाहिनी ओर के दो बडे कमरों आंगन में कब्जा करके करीब दो दर्जन भैंसे की डेयरी चलाई जा रही है। हद तो यह है कि यहां पर बने मंदिर से अवैध बिजली कनेक्शन भी कर लिया गया है। नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया बेनजीर बिल्डिंग की तामीर बतौर एजुकेशन हब 1938-1940 में तत्कालीन नवाब शाहजहां बेगम ने करवाया था। इसमें मदरसा संचालित होता था। आजादी के बाद भी इसमें मदरसा चलता रहा।
1983 में यहां पर बेनजीर कॉलेज की शुरुआत हुई। फिलहाल, यहां से कॉलेज को एमवीएम के पीछे हॉस्टल में शिμट किया जा चुका है। नतीजे में अधिकांश कमरों में पड़ा पुराना फर्नीचर सड़ रहा है, जबकि अधिकांश सामान के साथ ही खिड़कियों और दरवाजों का लोहा आदि चोरी हो चुका है।
मरम्मत के अभाव में छतें टपक रही हैं और कई जगह दीवार में दरारें नजर आती हैं। पीडब्ल्यूडी ने कराया था रिनोवेशन पुरातत्व संरक्षित घोषित होने के बाद भी बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए जा सके हैं। अलबत्ता, पीडब्ल्यूडी ने जरूर दो साल पहले कुछ हिस्सों की मरम्मत करवाई थी।
इसके लिए करीब दो महीने तक मरम्मत कार्य होने के बाद पीले रंग का मोटी रेत वाला प्लास्टर किया गया था। हालांकि, असामाजिक तत्वों ने इस प्लास्टर और मरम्मत कार्य को जगह- जगह से खुरच कर खराब कर दिया है।